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परिशिष्ट ३
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डूंगर केरा. बावला, अोछा तणे सनेह । वहता है उतावला, झटक देखावै चेह | -१६१-६७
ढोल दडूक तन वहै, गेहरीया नाचत । चालो सखी सहेलड़ा, कठे न दोसे कंत ॥ -१५३-२७ ढोल धडक तन दहै, विरहीणी सतीया होय । पीउ मोलामो तो मील, तो किम दुषीयो कोय ।। -१२७-२८४
तण पुल रमसा तीज, १७९-१०४ तल गुंदल निलज उपरे, नीर निरमल होय । टुक पोवहो रीमालूवा, नोरमल नोर न होय ॥ --१२५.२७६ तास तीषा लोयणा, प्रोस (पर) चंगी वेणाह (नणांह)। धार विछटी घर गई, नर चढियो नैणांह ॥ -१२४.२७३ तीजी वरण तीज, १७८-८६ तुररे छोगे चांकीया, झलंब रहै प्रठ जाम । भीनं रंग अलीयो भमर, मारपीगर म्याराम ॥ -१६८-३५ तू होरावल होर, मोट सूता मिलसी घणा । तू पाटण पटचीर, नारी - कुंजर नागजी ।। -१६१-६८ ते नारी गढ - सूरड़ी, होवै जगमै हरांम बे। स्यूं ए रीसालूरी गोरडी, हठमलसू हित काम बे। -६२-१३० तेहगे वैरी तेरमो, जोवन चढीयो जोर ॥ -१७८.६१ तो सरसी नारी तणा, वेल तणा मन खेल। प्राण तणा पासा ढल्या, मेंमत कीषा मेल ॥ -११०-२०७
थारो पीरो बहुबली, तीम प्रजण-बांण । रयणी वात बहू गई, ईण बोध राता रेण ॥ -१४२-७३ दईवाधीन लिष्या जके, अंकण भिसले सीस बे। जेसा दुष-सूष सीरजीया, जेसा-जेसा लहै नर वीस वे ॥-१०७-१८४ दल चावल भेला हुवा, देतां नगारां ठोर । जाण भाद्रव गाजीयो, चढीया यहां सजोर ।। -१३७-३२७ वसमौ वैरी दीबलो, १७८-८६ दारूको पी धल (धण)वर्ष, छकी प्रण सारू । -१८१-१२८ दुलही बनड़ो वेषतां, ऊलही उर बिच प्राग। संगम वेषो साहिबों, कोनों हंसर काग ।। -४.२६
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