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बात नागजी-नागवन्तीरी करक कलेजा मांहि, उकस पिण निकस नही ।
गल गया हाड'र मात, नेह नवल नागजी ॥ १६' १३. वारता-इण तरह सदा झरोखै अावै तरै ओ दुही कहै । तिसे एक मुसाफर वैद प्राय नीकल्यो। सुं नागवंतीरै मोहल नीचे झरोखैरी छाया ऊभौ छै । तिकै नागवंती झरोखे प्राय दूहो कह्यो सुं इण वेद सांभळीयो । तरै वैद विचारीयो जे दीसै छै--इणरै नै कुंवररै प्रीत छ पिण मिलाप न छै। [तरै वैद विचारयो जे दीसै छै-इणरै नेहसुं नागजो]६ गळतो जावै छै तो अब जायनै हं इलाज करू। इसो विचारने नागवंतीरै महल नीचे डेरो कीयो नै ते [ने] जा रोपीयो । दोढी जाय" मालम कराई -नागजीन हूँ चाक करसुं। तरै राजा वैदनै माहै बुलायो; नागजीनु देखायौ १० । वैद नागजीनु देख दूहो कह्यौ १दूहा- सिसक-सिसक मर-मर जीवै, ऊठत कराह-कराह । नयरण-बांण घायल कीया, प्रोषद' २ मूल न थाय ॥ २०
वले कहै छै१४प्रीत लगी प्यारी हुती, बाला थई विछेह । नोज किणहीनै लागज्यो, कामरण हंदो नेह ।। २१ चख सिर खत अदभुत जतन, बधक धैद निज हत्थ ।
उर उरोज भुज अधर रस, सेक पिंड पद पत्थ५ ॥ २२ १४. वारता -'इसो वैद विचारयौ'१६ । तरै नागजी वैदनै१७ कयौ-या वात उतांवली कहो मती। नै सवा किरोडरी मुंदडी हाथमैं थी सू वैदनै दीवी। तरै वैद राजानं कह्यौ-कुंवरजीरो मांचो अलायदो एकांत घालौ१८। तरै मांचो अलायदो घाल नै वैद पाछो प्रायनै वले तेजारो काढे छै । इतरै नागवंती झरोखै आयनै दुहो कहै छैसोरठा-नागजी ! तमीणा नेह, रात-दिवस साल हीये।
किणनै कहीये तेह, नित-नित सालै नागजी ॥ २३ नागजी समो न कोय, नगर सारो ही निरखीयो ।
नयण गुमाया रोय, नेह तुमीण नागजी ! ॥ २४ १. यह सोरठा 'ख' प्रतिमें नहीं है। २. ख. प्रतिमें नहीं है । ३. ख. जितरै। ४. ख. मिलापण। ५. ख. न हुवो छ । ६. [-] ख. प्रतिमें नहीं है । ७. स्व. जायन। ८. ख. करायो । ६. ख. करस्यूं। १०. ख. दिखायो। ११. ख. कहै छै । १२. ख. नैणां। १३. ख. प्रोषध । १४. ख. थाह । १५. ख. प्रतिमें नहीं है । १६. ख. प्रतिमें यह वहा नहीं है। १७. '_' ख. प्रति में नहीं है। १८. ख. बैद ।
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