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बात नागजी-नागवन्तोरी दूहा सोरठा- तम्बोली आपो पान, दोय बीड़ा बाँधे करी। ___ गई तमीणी स्यांन, काईरे मुख साहमों भरणे ॥ ७
तम्बोळो कहैसोरठा- प्रांख्या प्रांकस बांण, तांख करे ने तांणीया।
न डरै तेण दीवांण, सो माढु नैणा ही मांणीया ॥ ८ ७. वारता-तंबोळीरैस' पान ले तलाव गया। सु हमै रात दिन नागवंती नै नागजी खेतमैं ऊंचो मालो छै. जठे बैठा रहै छ, रंगरळीरी वातां करबो करै छै । यु करतां माहरो महोनो आयो । सु खेतरो धान तो धणी ले गया। तरै परमलदेजी कह्यौ-नागजी महाराजकवार ! हमै गढ़ दाखल हुयजो नहीं तो लोक भरम धरसी नै प्रा वात छांनी न रहसी। प्रा वात छांनैरी छ, गुपत राखणनु ज्यु छ । तरै नागजी कह्यौ--सुहारे गढ जांवसी । हमें नागजी गढ़ चढ़े छै नै नागवंती कमर बंधावै छै नै दुहो कहै छैदूहा- कमर बंधावत कुवरकु, विरह उलट गयो मोहि ।
सजन बीछड़ण कब मिलण, काहा जाणे कब होय ॥६ हे विधना तोसुकहूं, एक अरज सुरण लेत । वीछड़ण अंक'ज मेट कर, मिलबैको लिख देत" ।। १०
नागजीवाक्यंदुहा- गोरी हीयो हेठ कर,६ कर मन धीर करार ।
सांई हाथ संदेसहो, तो मिलसा सो सो वार ॥ ११ ८. वारता--नागजी कमर बांध हालीयो । तरै नागवंती गळ मैं बांह घाल नै नागजीनु छातीसु भीड़नै गल-गली होवण लागी । तरै परमलदेजी कह्यौ - दुहा- गोरी बांह छातीयां, नागकुवर न झुराय।
जाणे चंदनं रूखड़े, बेल कलुवी खाय ।। १२ गोरी दागल हाथड़ा, नाग कुवर कर सेल ।
जाणे चंदनं रूखड़े, अधर विलंवी वेल ।। १३ ६. वारता-परमलदेजी कहै छै-नागवंती अब तु हंसने सीख दे ज्यु नागजी गढ़ पधारै । तारै नागवंती कहै छै--
१. ख. हिव । २. ख. प्रतिमें नहीं है। ३. ख. जावसां । ४. ख. लेह । ५. ख. देह ६. ख. हथ करि । ७. ख. कहै छ । ८. ख. नठाय । ६. ख. कलुबा ।
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