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बात रीसालूरी दूहा- उठ विडाणा देसरा, कांमण जागी जोर बै।
रेण गई उगा सूरज, अब तो माने निहो(हा)र बे ॥ २६१' साहिब तो सूता भला, करडी वांगां तांण बे। धण नही लोवी नींदडी, ढीला हुवा संधाण बे ॥ २६२२ साई साजन प्रेमका, धण दीधा छोटकाय बे। वरषा रुतरी रातडी, दुषम दई विताय बे ॥ २६३३ सोल वरसरी वीजोगणी, निठ मील्यौ भरतार बे। हस्या न बोल्या हे सषी, प्राइयो लेष अपार बे ॥ २६४४ आज रूपाली रातडी, झिरमिर बरस्या मेह बे। पीउ मन षांची पोढीयो, नवली नार ने नेह बे ॥ २६५५ कोड छडाया कागला, पीउडा कारण पाय बे । विधना हंदि वातडी, प्राजब करी मुझ माय ॥ २६६६ पिण हिव सता रिसालंवा, पिण पूह फाटी प्रेम बे।
जागो नही निंदांलूवा, उठो सूरज पेम बे ॥ २६७० [७२. वार्ता-इसडा दूहा कुमरजी सूण्या तद मनमे जांण्यौ-देषो, सचवादी हुवे छै । इसो विचारने कुवरजी वले आलस मोड नै प्रांष्यां मसल ने लाल करने सेझस उठ्यां । जाणे सारी रातरो नीदालूवो उठे, तिसो रोतरो सहिनांण दिषायो । तठे एहवो सरूप देषने राजी हुई ने जांणीयो-जे मोने मारगमें जाब दीयो छो, सूदईमारचौ कोई इसडा कांमारो करणहार हुसी; सेहरमे लूड-भूड कोई घणा छ तो वे झष मारो, उणा(मवा)रो डर नही । कुवरजीरो डर राषीती, तीनरो अब भरूसो आयो। इसो चित्तवने रांणी बोली-।
___G. वारता--इसो रीसालू कयो । तद रांणो वीचारीयो-रोषे रीसालू हवै। तिवारे महिलां माहै सताव गइ । रीसालू रांणी पहिला गयो। राणी प्रायने देखे तो कुमर सूतो छ। तिवारे पग दाबवा लागी छ।
१. २. ३. ४. ५. ६. ७. ये दूहे ख. ग. घ. ङ. प्रतियोंमें अनुपलब्ध हैं।
[-] कोष्ठकान्तर्गत गद्यपद्यांश के स्थान पर ख. ग. घ. ङ. में केवल निम्न गद्यांश ही प्राप्त हैं
ख. रसालु जाग्या । जदो राजी हुआ । जदी रांणी लाष रुपीयारा गहीणारी रोझ हुई। इतरे प्रभात हुप्रो।
ग. रोसालु जाग्यो, राजी हूवो । घडी दोय दोन चढयो छ । घ. रसालु जागे ने रजाबंध हवा । सवेर हो। ङ. तरे रीसाल जाग्यो, राजी हुवो । घडी एक दिन चढीयो ।
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