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बात रीसालूरी
[ ६९ A ३७. वार्ता-इसो संण नै कुवरजी उचा जोवा लागा। तठे छातरै पीक नीजर प्रायों । तठे कुवरजी वोलीया-रांणीजी साहिब ! ओर काम तो थे कीया, पिण छातरे पिक किरण लगायों ? ओ पीकरो तो जोधार हवै नै सवा मण लोह डील उपर राषै; तिण विना इतरो उचो न लागे । तर रांणी वोलीमाहाराज कुवार ! ओ पीक तो में लगायो छै । ढोलीय चीती सूती थी तरे मै छातनै वाह्यो । तठे कुंवर बोलीया-दूरस कही छै; पिण कांना सूरणीयां तो न पतिज्यूं, प्रांष्यां दीठा पतिज्यू । सौ प्रो ढोलीयो छ, तिण माथै सूय ने पीक बाहा । त? रांणी ढोलीया चित्ती सय ने पिक नाष्यो । सौ पीक पूठौ माथा उपर आय पड्यौ । इम दोय-तिन वार घणो मेहनत कीवी, पिण पीक पूछो पाय पडे। तठे कुवरजी बोलीया-राणीजी! घणी मेहनत कीवी, थांहरा गुण निजर आया। ____Bइतरै सूवी पिण महिलरा इंडांसू उडनै कुवररो हाथरो अंगुठा उपरे बेठौ । संवासं कुंवरजी सारी हकीगत केह दीवी। मनमै जांणीयौ-जे कोई पूरष बलवंत जोरावर छ, पिण दांणा-पांणी छै तो सारो हि जाबतो कर लेस्यां । इसो विचार ने कुंवरजी सूंवाने पूछीयो-सूवाजी ! मेना कठै गई ? तरै सूत्रों मनमै जांणीयो-जै अवै सागै वात कहुं तो रांणीरो नाम हूवों, तरै सूर्व कह्यौमाहाराज कूवार ! मनै छोडनै जाती रही । तरै कुंवरजो बोलीया-सूवाजी ! अस्त्ररी कीणही री नही छै ।B
Cयं वांतां करतां कुवरजीरो बोल होरण सणीयौ । त, हीरण कुंवरजीसं मीलवा आयो। वीती, तीका बात अहमी-सांमी पूछी। तठे-कुंवरजी जांणीयोंनिश्चौ हठीयो पातसाह कहीजे, तीकोइ ज दिसै छै। इसी विचार न हीरणनै वरज ने कुवरजी सोय रह्या ।
A-A. चिन्हगत पाठभेद ख. ग. घ. प्रतियों में निम्नोल्लिखित है
ख. वारता- रसालु कहे-देषा, थे मां देषतां नवषंडाके छाजे तंबोल नांषो। तदी रांणीई पान-बीडी चावने छाजा सारु तंबोल नांष्यो । सो रांगोरे पाछो माथा उपर प्राय पडयो। जद रसालु कहीयो-थारा गुण जांण्या; थे वेसे रहो। ___ग. वारता- तदि रीसालु कह्यो-म्हां देषतां नांषो। तंबोल नवपंडै छाजै नाष देषालो तो थे साचा । तदि पनि चाव्या । तंबोल नांष्यो । माथा ऊपरै पाछो भावी पडयो। तदी रीसालं कह्यौ–अब बैसो । म्हे जाण्या यां(थां)ने ।
घ. तदी रसालू कहै-मांह देषतां पान तमाषु षावौ, नवपंड्याकै छाजे तांबोल नांषो । तदी रांणी पीक नांष्यो, सो पाछो माथा उपरै प्रावी पड्यौ । रसालु कह्यौ-थे ठकांण बैसो, थहरौ जांणौ।
B-B. यह अंश ख. ग. घ. प्रतियों में अनुपलब्ध है। C-C. ख. ग. घ. प्रतियों में चिह्नित अप्राप्त है।
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