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वात देवजी बगडावतारी कीयां। साहौ' थापि परणाया। अ परणिया। हिवै वधीया ।
आदमी घणा हुवा। अजमेर माहि मावै नहीं। ताहरां वास करण- ठोड़ जोवण लागा । ताहरां रांण भणाय* रांणो वाघट पडिहार राज करै । ऊवैनुं जाय मिळीया। कह्यौ म्हांन बास करणनुं २४ ठांम" द्यौ । म्हे थाहरी चाकरी करिस्यां नै हासिल' ही देस्यां। ___ताहरां रांणेजी दीठौ । प्रा वात भली। चाकरी करै नै हासल पिण देव । अ रजपूत भला वासीजै । ताहरां रांणै घणी दिलासा देने सिरपाव देनै वासीया। २४ सांगें चौवीस थंडा मंडाइ दीया । ईयां २४ गांम वसाया । तिके २४ से वघडावतांरा गोठ' कहीजै । ईयारै घणी भेंसि घणी गाइ वडौ वधारौ साहिबी करै छै ।
हिवै एक अतीत पाहडां माहे तपस्या करै । वडौ सिध । ईयैरी सेवा भोजौ करै। सिगळां भाईयां माहे वडेरौ भोजौ छै । सुअतीतरी सेवा करै । एक दिन अतीत कह्यौ । भोजा "मैं चलंगा। तुं परभाते का पाए। ____ौ सवारो ही ऊठिनै अतीतरै दरसण- गयौ। प्रागै अतीत ऊभौ छै । कडाहै माहे तेल ऊकळे छै । तेल लाल रंग हूवौ छै । प्रागै अतीतरे पगे लागै। अतीत कह्यौ। बाबा भोज आव। कह्यौ नाथ
१. साही- लग्न । २. हिवै वधीया- अब बढ़े। ३. ठोड लागा - जगह देखने लगे। ४. भणाय - भिनाय, अजमेरके समीप एक प्राचीन जागीरी ठिकाना । ५. पडिहार - परिहार, एक क्षत्रिय जाति । ६. ठाम - स्थान सं. >थाण>ठांम । ७. हासिल - कृषि कर। ८. दिलासा - तसल्ली। ६. थंडा''दीया - निवास स्थान बनवा दिये। १०. गोठ - सं. गोष्ठि, यहां समूह या मिलनसे तात्पर्य है । ११. अतीत - तपस्वी। १२. वडैरै - बड़ा। १३. ऊभौ छ - खड़ा है। १४. ऊकळं छै - उबलता है ।
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