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________________ [ १६ ] कनै कांधळ प्रालेचो रजपूत ४ बीजा भेळा मेलिया। थे पातसाहजीनू कहने प्रावौ - जु अतरा हिंदुस्थान मार बंदकर महादेव सोमइयो बांधने म्हारै गढ़ निजीक म्हारै गांव उतरिया सु भली न की । मोनू रजपूत न जांणियो ।' 1 कांधळ भी सोमनाथकी मूर्ति बंधी हुई देखकर प्रतिज्ञा करता है'पाणी तो विगर पिये सर नहीं नै धान राज छूटां खासां ।' अलाउद्दीनकी सेनासे हुए कान्हडदेके प्रथम युद्ध में कान्हडदेको विजय हुई। इस विषय में नैणसी लिखता है-- पातसाहन भांजनै कानड़देजी सोमइया कनै प्राया। महादेवजीरी पोंडी हाथ घातनै उपाड़िया सु तुरत उपड़िया सु महादेवजीरो लिंग सकरांण थापियो। ऊपर देहुरो करायो। कांनडदेजी हिन्दुस्थांनरी बड़ी मरजाद राखी ।' उक्त विवरणसे ज्ञात होता है कि युद्ध के कारणमें वार्ता-लेखकका मत कवि पद्मनाभ और नैणसीसे नहीं मिलता। सुलतान अलाउद्दीनके हरममें कर्णदेवी जैसी कुछ हिन्दू बेगमें भी थीं, उनमें से किसीको शाहजादीका वीरमदे जैसे वोरसे विवाह करनेकी इच्छा प्रकट करना अस्वाभाविक नहीं है। ___ 'फुतुहस्सालातीन' नामक प्रसिद्ध खिलजीकालीन इतिहासग्रन्थके लेखक 'एसामी' ने देवगिरीके राजा रामदेवकी पुत्री मिताईका अलाउद्दीनकी बेगमके रूपमें उल्लेख किया है। इसी झिताईके विषयमें नारायणदास और रतनरंगने 'छिताई वार्ता' लिखी है . छिताईका उल्लेख कवि केशवदास (१६१२-१६७४ वि० सं०) ने करते हुए लिखा है-- साहि छिताईको ले जाई । मलिक मुहम्मद जायसीने भी अपने पदमावतमहाकाव्यके बादशाहचढ़ाई खण्डमें छिताईका उल्लेख किया है बोलु न राजा आपु जनाई । लीन्ह उदैगिरि लीन्ह छिताई ।” १. मुहता नैणसीरी ख्यात, भाग १, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर, - पृष्ठ २१६-१७ । २. वही, पृष्ठ २१८ । ३. वही, पृष्ठ २१६ । ४. खिलजीकालीन भारत, सैयद रिजवी, पृष्ठ २०८ । चौहानकुलकल्पद्रुममें अलाउ हीनकी पुत्रीका नाम 'सीताई' दिया गया है, जिसने वीरमदेसे विवाह करनेकी इच्छा प्रकट की। ५. छिताई वार्ता, राजा बलदेवदास बिड़ला ग्रंथमाला, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी। ६. वीरसिंह देवचरित, छंद सं० ३८-३६, आर्यभाषा पुस्तकालय, नागरी प्रचारिणी सभा, काशी। ७. पदमावत, सं. डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल, साहित्यसदन, चिरगांव, झांसी, पृष्ठ ५१२ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003391
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottamlal Menariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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