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[ २ ] भारतीय कथा-साहित्यमें 'जातक' का भी विशेष स्थान है क्योकि इसमें भगवान बुद्ध के जन्म-जन्मान्तरोंसे सम्बद्ध ५७७ कथानोंका समावेश हुआ है।
गुणाढ्य द्वारा ईसाको प्रथम शताब्दि रचित बृहत्कथासंग्रह अब प्राप्त नहीं है किन्तु हर्षचरित्. काव्यादर्श, बृहत्कथामञ्जरी और कथा-सरित्सागर प्रादिसे इसकी सूचना अवगम्य है । कथासरित्सागर (११ वीं शताब्दि ई०) भारतीय कथानोंका एक अनूठा संग्रह है । संस्कृतके अन्य कथा-ग्रन्थों में वैतालपञ्चविंशति, शुकबहुत्तरी, सिंहासनद्वात्रिंशशिका और हितोपदेश विशेष महत्त्वपूर्ण हैं।
प्राकृत और अपभ्रंशके कथा-साहित्य में लीलावई कहा, पउमचरिउ, कथाकोश, समाराइच्चकहा, भविष्यदत्त कथा, ज्ञाताधर्म कथासूत्र और वसुदेव-हिण्डी आदि विशेष उल्लेखनीय हैं।
प्राचीन राजस्थानी कथा-साहित्य राजस्थानी भाषामें संस्कृतका प्रायः संपूर्ण कथा साहित्य अनुवाद-रूपमें प्राप्त हो जाता है। पञ्चतंत्र, हितोपदेश, सिंहासनबत्तीसी, वेताल पच्चीसी और रामायण-महाभारत प्रादिसे सम्बद्ध कथानोंके तो कई अनुवाद विभिन्न ग्रन्थ-भण्डारोंमें प्राप्त होते हैं, जिनमें से कई सचित्र भी हैं। अभी तक यह वाङमय अप्रकाशित ही है। - मनोरञ्जन, धर्मप्रचार और शिक्षाप्रसारमें कथाएँ बहुत सहायक होती हैं अतः राजस्थानी भाषामें प्राचीन कथाओंके अनुवादोंके अतिरिक्त नवीन कथाएँ भी पर्याप्त संख्यामें रची गई है। बालकों और प्रौढ़ोंको विभिन्न विषयोंका ज्ञान भी प्रायः परंपरानुगत कथानोंके माध्यमसे दिया जाता रहा है इसलिये मौखिक कथाओंको लिपिबद्ध करनेके प्रयत्न भी पहले अनेक हुए हैं, जिनके परिणामस्वरूप हमारे ग्रन्थ-भण्डारोंमें राजस्थानी कथाओंके संग्रह पर्याप्त मात्रामें मिल जाते हैं। हमारे समाजमें प्रचलित परंपरागत मौखिक कथाओंको लिपिबद्ध करनेका आज कोई व्यवस्थित प्रयत्न नहीं हो रहा है और दुःख है कि महत्त्वपूर्ण कथाएँ धीरे-धीरे विस्मृतिके कराल गालमें लुप्त होती जा रही हैं।
प्राचीन राजस्थानी साहित्यकी रास, प्रबन्ध, चउपई, मंगल, वेलि आदि रचनामों में भी कई कथाएं मिलती हैं किन्तु वे पद्य-प्रधान हैं। वार्ता, हाल, विगत, वचनिका, ख्यात आदि साहित्यिक रूपोंमें गद्यात्मक राजस्थानी कथाओंकी प्रचुरता है । जैनागमोंको बालावबोध गद्य-कथानोंमें संवत् १४११ वि०में रचित तरुणप्रभ सूरिकी "षडावश्यक बालावबोध" विशेष उल्लेखनीय है, जिसकी कुछ कथाएँ पुरातत्त्वाचार्य श्रीमान् मुनि जिनविजयजीने स्वसम्पादित "प्राचीन गुजराती गद्य संदर्भ" में प्रकाशित की हैं ।
. १ कुछ राजस्थानी कथाओंकी सूची श्रीमती रानी लक्ष्मीकुमारीजी चूडावतने अपनी " माँझळ रात" नामक कथा-पुस्तक ( साहित्य संस्थान. विद्यापीठ, उदयपुर ) में प्रकाशित की है। तदुपरान्त श्रीयुत नाराणसिंहजी भाटीने “राजस्थानी बात संग्रह" परम्परा प्रकाशन (राजस्थानी शोधसंस्थान, चौपासनी, जोधपुर) में भी राजस्थानी कथाओंकी सूचीका प्रकाशन किया है ।
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