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वीरमदे सोनीगरारी वात तिसे तोरण बांदीयो'। आरती कीधी। चंवरी वीराजीया । हथलेवो दीधो । तरै रावजी बोलीया। हथलेवो तो सोनीगरीरो सषरो पीण सोढीरी होड न करै। ___ईसो सुणनै वीरमदेजी जांणीयो। सगपणमै षोटा षाधा। रावलमै लषण षीलोरीरा छ । सोनिगरी रीसायनै सुंस घालीयो । हथलेवो छूटा पछै रावलसुं घरवास करूं तो भाइ वीरमदेसुं करूं। परणीजतां विरस हूवो। छेहडा छोडीया। चांच.' पधारतां राव लाषणरो वेगारो हूवो । सीष मांगी।
हठ घणो किधो। रहै न्ही । तरै कान्हडदेजी रांणगदेजी रीसांणा। रावलजी चढे नै चालीया। तरां वीरमदेजी कह्यो। बाईने मेलां न्ही । तरै कान्हडदेजी कह्यो। एक वार जेसलमेर पोहचावणी सदामद रीत छ ।
असवार १०० नै राजडीयो षवास नाई सोथे दैनै बाईजीरो रथ जोतरीयो सो जालोरसुं कोस ४० पोहता। गांव मांडलरो तलाव तट रथ छोडीयो। वलरी तयारी करे छै । केइक टेव टालणन गया छ ।
१. तोरण वांदीयो - तोरण बांधा, तोरण बांधनेको परंपराका सम्बन्ध तोरण राक्षसको
एक पौराणिक कथासे जोड़ा जाता है। २. होड - बराबरी। ३. सगपरणमै षोटा षाधा - विवाह सम्बन्धमें भूल हो गई। ४. पीलोरोरा छै - खिलोरी(?)के हैं। ५. सोनिगरी घालियो - सोनीगरी राजकुमारीने रूठ कर निःश्वास लिया। ६. छेहडा छोडीया - बन्धे हुए वस्त्रोंके कौने खोले गये। विवाह-संस्कारमें वर-वधुके ____ दुपट्ट-साड़ीके कोने एक साथ बाँधे जाते हैं । ७. चांचर्ड - प्रातःकाल। ८. वेगारो - बिगाड़, झगड़ा। ६. रीसारणा - रूठ गये। १०. सदामद - परंपरागत सदाबद्ध । ११. पोहता - पहुंचे। १२. वलरी- व्यालुको, भोजनकी (?) १३ टेव टालणन - पादत टालनेके लिये, शौच आदिके लिये।
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