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________________ राजान राउतरो वात-पाय सोळे सिणगार कियां थकां कानरा झांझर वाणि नै रहिमा छै. श्रीमंडल राग कलावंत घमंड राग जमावि नै रहिमा छै.. छै राग ने छत्रीस रागणी पालापीज रहिमा छै. तां राजानां मुंहा प्रागि पंडित, मिश्रा, जोतसी, चारण, भाट बैठा छै. छभा मंडि नै रहिमा छ. कवेसुर कवित्त, गीत, छंद, दोहा, गाथा, वात कथी नै रहिमा छ। तठा उपरांति करि नै राजांन सिलामति राजांन राजावत घणां अमलां किया थकां प्रागै वखाणियां तिण भांतिरो दारू पियां छकोने उछकिनै साथसू लांगीरी पोत किमां झोलणना पेठा छ. दरियाव मांहे घड़ नावां बांधी छै उरिण होदरी हवा उवो घड़नावां ऊपर सूरती तंबाकू मारोगीज छ. गुमानरा कुरळा कीजै छ. घरणीं वासावळीरो वाह लागि नै रहिनो छ. भीर वांट वाट न पाणी उछाळीजै छ. होकार होंकारी हुइ नै रहिौ छ. पाणी माहे वासावळीरो डोरो फूटि नै रहिनो छ। . तठा उपरांति करि नै राजांन सिलामति झलरंमि खेलि नै बार पधारिमा छै. कपड़ा पहरी छै. वरणाव को छ हिलमी जेहाज पाथरीजै छै. बिछाइत गादी तकिया फेर विराजमान कीजै छ. बेवड़ी, त्रेवड़ी, चौवड़ी पात्यां जुडी छै. सूमार, पडिहार प्राडा डोत्रा, लांबां कुडछां, झालियां यका कछि नै रहीमा छै. चरू रहए घाति घाति पीसीजे छ. पाडायां डांगरां घातिमां चरू रठठाविजे छ तांह चरवारा निहाव्या पहाड़े पडि सादाने रहिमा छै. देवगरी थाळ सोने रूपैरा, सिरदारांरा मुहडा मागे मेलोज छ. घरणा मालवा पुरी काठा घहूंदा बटीज छ. घणा केसयां मांस रजवेरा भीनां थका उधमीजै छै. घणां जोजरा रोटा, ऊजळा देवजीर जादूरा फूल हवै तिण भांतिरा चावळ परूसीजे छ. मसकारे मुहडे घो नामीजै छै. अतरा मांहे सोहित ने मांसरा चरू ऊतरिया छ. सोळा सोहिता धांधुसो पुलाब चकताळो जळचर मांस, थळचर मांस, उडणा पंखिमारा मांस, भांति भांतिरा जुदा जुदा समार समार ने वणाया छ. प्याला मांहि परूसीजै छै. हाजर कीजै छ । .. तठा उपरांति करि नै राजान सिलामति दारूरी तू गा लागीसूअोछाछिमा घणे ठळे पाणीसू छांटि छांटि नै वडारी साखांसू नागळी थकी जूलं छ. पवनरो हवास टिप्पा खाइन रही छै. कोरी गागर मांहे घाति घाति ठारीजै छै. बतकां भरीज छ. ऊजळा खवास पासवान करा बीड़ा झालियां हाजर खड़ा ऊभा छ. प्रतरा माहे दारू प्राय हाजर हुप्रो छ। तठा उपरांति करि ने राजांन सिसामति दारूरौ पाणींगो मंडियो है सो किरा भांतिरौ दारू. उलटेरी पलट. पलटैरो भैराक, अराकरो वैराक, वैराकरौ संदली, संदलोरी, कंदली कंदलीरौ कहर, कहररौ जहर, जहररो कटाव, कटावरो नेस, नेसरो जेस, जेसरो मोद, मोदरो कमोद, कमोदरो हूल. घाहि लाग तो नांहि जाग, मुह मैं मेल्हियां छातो लीह पड़े चिगती भाठीरो तेज पूज भासप अरोगीज छै. घणां जड़ाव नै चिरणींरा प्याला फिर मैं रहिमा छै. इण भांतिरो दारू पाणिगो मंडियो छै. उणि भांतिरो मांस उरिण भांतिरो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003390
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1997
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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