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________________ राजान राउतरो पात-पाय माह हरिण, सूपर, सांबर, रोज, खरगोस, गेंडा खग, भांति भातिरा जानवर वनभंगरा माह परै छ. सिकारी हाँक वालि नै रही है। না বাল বিন লাল লিলাবলি ব্রিা ভাবি ভুল সাল্লা मोढ़ा फाड़ फाड़ने निकळिमा छ. सूपरें राते खून किमो छ. सरे गुलवाड़ि विधासिया छ. त्यां सूरांरै मोरै पैराकी. प्रारबी, उजबकी, तुरकी, ताजी लगाड़ीजै छ. सतपुड़ा पहाड़ा मांहै दराजा बदूकांरा खललाट पड़मादा पडि नै रहिया छै. ग्रीध पंखांरा सरारी सोक वाजि नै रहिमा छै. सेलारा धमोड़ा पड़े . सेलारा फळ सूरार मोरै भांजि भांजि रहिमा कै. सूरार मोरे भूखा बाज ज्यों प्रसवार नै पोड़ो ग्राफलि रहिमा छै. सूपरारो मिकार मायोज है. एकल नाहीज छ. रहा मगाजरहर पाति पाति नै बलता की. इति फोजी मसलत भारष जुध सिकार तीसरी प्रस्ताव पूरी पी। दोहा कौनधी मिसलत दुध, मारक हो भाव । सानलबास मायरी, एपीजो प्रस्ताव ।। तठा उपरांति करि नै गजान सिलामति रातो बाके ते पारू पिमा तासीमा त्रिखावंत हमा.बेपारहरैरी हांस तरस मागगन हजार प्रसवारी तलवारे माथेनू वाग वाळी छै. सो किण भांति तलाव जाणं दूसरीमानसरोबर रातासी एके रडिरं माथै पांररी नीर पवनरी मारियो कराई फीण पाछटतो ठेपा खाइ नै रहिमा छै. कही मांसमा पेठां पगारा नख झांखे, दूध र भोळे बिलाव बास पालिरै फेर केलिरै गिरदवाइ माहे सारसारा टोला झींगोर करि नै रहिमा छै. माहे सूमा कोडल मोर बपैया बोलि नै रहिमा छै. प्राडा हाक में हिना छ. बतका बकोर करिनै रहिमा छै. डेडरा उहक नै रहिमा है. हस काला करि नै रहिना छ. कमल पर फूल ने रहिया छं. पोइरणी थरकि नै रहिमा छै. भवर गंजारव करि नै रहिमा छ. पालिरै फेर गरदवाइ उपरि बड़ ने पीपल साख मेल हइ न रहिया छ. ऊपरि वड़ा ने पीपरांरी घटा बधिजिने रही छै. मैं तलाव - ते छायारी होस तरस माणणन हजार प्रसवारांसू राज ने प्राइ पागड़ा छाडिया छै. होलि में जिहाजां पाथरीज छ.. पंच रंग बादळ होइ तिण भांति राग रंगी बिछाइत चांदरणी कीजै छै. भांति-भांतिरा हुलीचा गिलमा ढाळीजै छ. पूलवाड़ीरो वरणाव वरिण नै रहिम्रो छ। तटा उपरांति करि नै राजांन सिलामति मुखमली जरबापती, मखतूल, रेसमरी कलावतू जरकस लपेटिमा लुबा समेत गादी तकिमा विराजमान कीजे छ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003390
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1997
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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