________________
३८
राजान राउतरो वात-वरगाव
प्रारबी, पारसीरा बोलणहार, श्राउखी ढाढी राखाणहार, बालि बाधि कोडोरा मारणहार, मवली मूंठीरा तीरंदाज, असली जादा, कोल बोलरा राखणहार, गाजी बहादर ताजक नीलक तार, जरबाफ वादले, आसावरी, विलाइती, हजारी कपड़ेरा पहराहार, देस देसरा, जाति जातिरा, मीरजादा भेळा हुआ छे. माही मुरातवा समेन पोहकर अजमेरश थारणां ऊपर विदा हुमा छे. आवाज फूट नें रही है ।
तठा उपरांत करि नैं राजांन सिलामसि पातिसाहरा दळ बादळ मागर थाट ऊपड़िया छै. बीस लाख असवार पाखरीमा लोहमीवाड़ किन बगतर, हाथल, टोप, फिलमें, चिलकतां ऊपरे पूरी सिलहा किनां, गरकाब हुआा थका छत्रीस थाउध डाबिया रहेछ ।
कवित्त
सर सीगण छुरि कुत सांग गेडीहल मोगर । गोळी गोफण संख गुरज मूसळ घरण तोमर ॥ प्रासी चक्र खड़ग्ग गदा चाबक ने फरसौ । कुहक बांरण बंदूक ढाल कट्टार खपटसौ || सेलह त्रिसूल सांठो धको वली वंसहड़ि कड़ि लगण ।
भूकंत चहुलि सूळो चटक दंडायुध छत्रोस रणि ॥१॥
to भांति छत्री आयुष डाबिप्रां, नव हाथां जोष पांन तुरक, अवला पाघड़ारा जमरांणैरी जमात सारीखा निजरि आवे छे. जाणें कलिपत कालरौ सम उलटी प्रो छे. तिम्रा भांतिरी समंद व्यूह सेव्यां कीमां वाली आवे छे. कांही जळजात सेन्या कीधी है ।
तठा उपरांति करि ने राजांन सिलामति प्रठीना सका बंधी हिंदू भाजणी परत राजावत राजांन मारू गुरडत्यूह, विधव्यूह, चक्रव्यूह, सेना रवी छे बिहूँ फोजांरी घड़स चालो जाये. हसमरी धसन पड़ी ने रही है. सूरजि रथ खांचि नै रही श्री छे. गया गरज डंबर छायो छै. मरिज पीछे पांन सरिखो निजर प्रावे . मुलांश मुकामला मंडाया है. प्रणीमेन हूमौ ग्रॅ. रायजादारा भाला भलकि नैं रहीया है. तबल बंधा मीरजादा बाका बहादरावां ने तारा तवल बाजि नैं रहीग्रा है. भेर घाव लिने रह्यौ है. नोबतरा टकोरा लागे छे. नौबत भींगड़ि पड़ी ने रही है. भेर, नफेर, करनाल भभक नै रह्यो है. सुरणायांरी कहक पड़ि ने रही छे. वडो राग सिंधुड़ो वागि ने रहीओ छं ।
तठा उपरांति करि ने गजांन सिलामति किलकिला नाकि छूटी सु गोळां री प्रागान अमू' धरती धमकि नं रही छे. जबर जंग नाळ्यांरा निहा उपड़ि ने रहीना है. गज नाळ्या
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org