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________________ राजाम राउतरो बात-पाय कवित्त सत्त सील गुण रूप विद्या तप प्रलप पाहारी । धन उदार जस तेज चतुर नाइक उपगारी ।। बुद्धिवंत बलवंत राज सनमान विचख्खण । भोग जोग गुर भगत भाग परमाण भुजायण ॥ जस लाभ धीरज साहस धरण दया ग्यांन उद्यम करण । रिणि सूर दान राजांनरा विधि बत्रीस लखरण वरण ॥१॥ तठा उपरांति करि नै राजांन सिलामति फेर पातसाहजी हुकम कीयो. हकीकत त कहै छै. कबले जिहांनियां पातसाह सिलामति राजांन कुमार षट भाषा निवास छै. विदै विद्यारी जाणहार छ। दोहा सुर भासुर अरु नाग नर, पसु पंखीकी वारण । जोदानां जारणे सुपह, सो षट भाष सुजाण ।।१।। काव्यं ब्रह्म ज्ञान रसायणं सुर धुनं घेदं तथा जोतिषं । ध्याकरणं च धनुर्धरं जलतरं मंत्राक्षरं वैदक ।। कोकैनटिक वाजवाह नरसे संबोधनां चातुरी । विद्या नाम चतुर्दस प्रतिदिनं कुर्वति नो मंगलं ॥१॥ तठा उपरांति करि नैं राजान सिलामति तोसरै हुकम दूत अरज कीधी ज जान राजेसररी तपतेज परमेसर परब्रह्म, मजनम, निरजए, निराकार, संसार रोमणि, संसार साधार, ईश्वररा अवतार. हिंदू महाराजाधिराज श्री राजांन जावत मारू रावत सूरजवंसी इण भांतिरी छ । तठा उपरांति करि नै राजांन सिलामति इणि भांतसू राजांनरी वात सण नै जमेर थारगरी हकीकत सांभल नै प्रादि वैर उगराहन प्रसुरांण तुरकांणरा दल मजान ऊपरै विदा हूमा सो किरण भातरा कहीज छै. रहमाण रहीम अलाह परवर गार, पीरां पिकंबरांरी औलाद, चौवीस प्रवलीप्रारी करामात, अवलीए पासतीक वले जिहांनियां हजरति पातिसाह मुहमद मुसतफाखानरा उमराउ हसन हसेनखां लीखांन सारीखा गोरी, पठाण, सैद, मुगल, उजबका मुसलमान पाकीनदार, श्रीस पारारा पढ़ाहार, पांच बखत निवाजरा करणहार, सुद्ध कलमें रा पढ़णहार, पेसता, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003390
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1997
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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