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राजान राउतरो पात-वरणाव
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कवित्त
विधि अंन पल त्रिधा साग पंच मांस धारण । गो-रस जुग विधि गिरिणत मिष्ट गति ए कवि चारण । लूण तेल साख हींग सात. दस भोजन भत्तं । तिख्य अनंत गति रचे मान कुण गिणे कवित्तं ॥ संजोग एक अनेक सुचि षट रस षट विधि नेत सुचि ।
सुह विधि रसोइ समुझे भता सुपह प्ररोगै अन्न रुचि ॥१॥ तठां उपरांति करि नै राजान सिलामति भांति भांतिरा भोजन जाति जातिरा मांस जाति जातिरा पकवान जिलेबी, लाडू, खाजा, मोतीचूर, सीरो, पूरी, साबूणी खेरा, पंचामृत।
मीठा मोळा रस मिल, खाटा खारा जांणि ।
कडुपा दान कसाइला, ए षट रस वाखाण ।। - भांति भांतिरा पकवान घणे सुरै घीरा झारिअल मुहढे मांहै मेलियां गलि जावै मुंहढामें मेलियां छाती ठाढ़ी हुवै ।
तठा उपरांति करि नै राजांन सिलामति भांति भांतिरा अबरस, सिखरण, प्रांवा, नींबू, सूरण, पादा. भांति भांतिरा प्राचार प्राणा. भांति भांतिरी तरकारी. गोरस. मीठा मोळा खारा खाटा कडुना कसाइला भांति भांतिरा पट रस सवाद लीजै छ. ऊपर कपूर वासिया गगोदकरा चळू कीजै छै ।।
तठा उपरांति राजान सिलामति घणां घोड़ा हाथो सुखासण रथ पायक जवहर हीरा मोती माणक सोना रूपा दइजें दीजै छै. घरणां दास दासी दे नै घरां सांमा प्रोभणा पधरावीजै छै.घरतीरौ इंदु होने तिरण भांति जग छल कर नै घणे सोने रूपरी मेह होइ मैं तूठो छे. कवेसरां गुणी जणां मंगत जणांनु घणा दान दे कोड पसाउ, लाख पसाउ, करि हाथी करह केकाणरा महा पसाउ करि जसरा जांगी घुराइ नै वलियो. आगे नीली झांप लीनां वधाईदार दोडिमा छै. नगर मांहै अोछव वधावी छ. मंगल गावी छै. गळिमां गळिमा फूल विखरीजै छ ।
तठा उपरांति राजांन सिलामति तोरण वांधीजै छै. घणां गज डंबर पेसारा करि मंडोवर महलें पधराया छ. सुभ दिन सुभ घड़ी सुभ मुहरत सुभ वार सुभ लगन सुभ वेळा मांहि प्रांणि पाट सिंघासण विराजमान किया है. माथा ऊपर सेत छत्र विराज छ. सेत चमर ढुळे छ ।
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