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देवी का मंदिर अति प्राचीन और बहुत प्रसिद्ध है; जहां दूर दूर से यात्रीगण विशेष करके नवरात्रों में देवी के दर्शन के लिये आते हैं। ___ “काँगड़ा जिला:-इस के पूर्वोत्तर हिमालय का सिलसिला, जो तिब्बतदेश से इस को अलग करता है; दक्षिण-पूर्व वसहर और बिलासपुर के पहाडीराज्य; दक्षिण-पश्चिम होशियारपुर जिला और पश्चिमोत्तर चक्की नामक छोटी नदी, बाद गुरदासपुर जिले का पहाडी भाग और चंबा का राज्य है । काँगडा जिले का क्षेत्रफल पंजाब के सब जिलों में दूसरा याने ९०६९ वर्गमिल है; जिस में हमीरपुर. डेहरा, नूरपुर, काँगडा और कुलू ५ तहसील हैं। जिले में मैदान और पहाडी देश दोनों हैं । पहाडियों के बगलों में और उन के ऊपर जंगल लगे हैं । कई एक जंगलों में अनेक प्रकार के उत्तम जंगलीवृक्ष हैं । वनों में चिता, भालु, भेडियाँ, बहुत हैं; बाघ भी कभी कभी देख पडते हैं और कई एक प्रकार की बनैली बिलाडियाँ हैं । काँगड़ा जिले में ब्यास, चनाव और रावी नदियाँ निकलती हैं। व्यास कुलू के उत्तर रोहतंग पहाड़ियों से निकल कर लगभग ५० मील दक्षिण-पश्चिम बहने के बाद मंडी राज्य में प्रवेश करके उस को लांघती है, पश्चात् , खास काँगडा की संपूर्ण घाटियों में बहती हुई पंजाब के मैदान में जाती है । चनाब नाहुल के ढालुओं से बहती हुई मध्यहिमालय के उत्तर चंबा राज्य में प्रवेश करती है; और रावी नदी बंगहालपाटि में बहती हुई, पश्चिमोत्तर को चंबा राज्य में गई है । इस जिले में लोहा, शीशा, और तांबा की खाने हैं । ब्यास नदी की बालू में कुछ सोना मिलता है । काँगडा और कुलू तहसील में स्लेट-पत्थर बहुत है, जो अंबाले जलंधर आदि जिलों में मकानों की छत पटाने के लिये भेजा जाता है।"
काँगड़ा का पूर्व-इतिहास भी इस पुस्तक में संक्षिप्ततया निम्न प्रकार लिखा है:
“ काँगड़ा कसबा पूर्व काल में कटौच राज्यको राजधानी था। कटौष राजकुमार “तवारिस्त्री " समय के पहिले से अंग्रेजों के
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