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________________ [ ५६ ] कर दिया । महाराणा ने कई तालाब प्रादि बनवाये, जिनमें जयसमुद्र उल्लेखनीय है । ऐसे सुयोग्य राणा की मृत्यु वि० सं० १७५५ में हुई। जयसिंह (महाराजा सवाई जयसिंह)___ यह आमेर का राजा बड़ा यशस्वी और भाग्यशाली हुआ है। इसका जन्म वि० सं० १७४५ और राज्याभिषेक वि० सं० १७५६ में विष्णुसिंह के मरने के पश्चात काबुल में हुआ था। यह काबुल में राज्य-सिंहासन-संस्कार से सम्पन्न होने के पश्चात् भारत में आकर दक्षिण में बादशाह औरंगजेब के पास गया तो औरंगजेब ने इसके दोनों हाथ पकड़ लिए और इससे कहा कि तू अब क्या कर सकता है ? उस समय यह बाल्यावस्था में ही था, फिर भी अपनी प्रत्युत्पन्न बुद्धि से बादशाह से कहा कि मैं अब सब कुछ करने में समर्थ हैं, क्योंकि मर्द जब स्त्रो का एक हाथ पाणिग्रहण के समय पकड़ता है तो वह उसे जोवन भर निभाता है और उसे बहुत से अधिकार देता है, और जहांपनाह ने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए हैं, इससे मुझे पूर्ण विश्वास है कि मैं अब अन्य राजामहाराजाओं से बढ़ कर हूं। इस पर बादशाह बहुत प्रसन्न हुया और इसको सवाई राजा की उपाधि से विभूषित किया। इसी सवाई राजा जयसिंह की पुत्री से महाराजा अभयसिंह ने अपना विवाह मथुरा में जाकर किया था जिससे जोधपुर के सामन्त-गण · महाराजा से नाराज होकर जोधपुर की तरफ आ गये थे। जिस समय महाराजा अभयसिंह ने सर बुलन्द को परास्त करने का बीड़ा बादशाह के दरबार में उठाया था और बाद में जब मारवाड़ की तरफ रवाना हुए थे तो मारवाड़ आते समय ये जयपुर होकर सवाई जयसिंह से मिल कर आये थे। ___ महाराजा सवाई जयसिंह ने अपने नाम से वि० सं० १७८४ में जयपुर नगर बसाया । हिन्दी का प्रसिद्ध कवि बिहारी इसी के दरबार का रत्न था। इस महाराजा का देहावसान खून के बिगड़ जाने के कारण वि० स० १८०० को हुग्रा। जहांगीर (बादशाह) इसका जन्म वि० स० १६२६ तदनुसार ई० सन् १५६६ में आमेर के राजा भारमलजी की पुत्री के गर्भ से फतहपुर सोकरी में महात्मा शेखसलीम चिश्ती के मकान पर हुआ । कहते हैं कि बादशाह अकबर को यह पुत्र महात्मा शेखसलीम चिश्ती के आशीर्वाद से ही प्राप्त हुआ था, अतएव महात्मा शेखसलीम चिश्ती के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के लिए शाहजादे का नाम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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