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________________ [ २ ] वृहत् राजस्थानी शब्द-कोष के कर्ता विद्वद्वर्य श्री सीतारामजी लाळस ने "सूरजप्रकास" जैसे महाकाव्य का सम्पादन विशेष मनोयोग एवं परिश्रमपूर्वक किया है । विद्वान् सम्पादकजी ने परिशिष्ट और भूमिका में ग्रन्थ सम्बन्धी आवश्यक ज्ञातव्य भी विस्तार से पाठकों की सुविधा के लिए लिखे हैं तदर्थ सम्पादकजी को हम हार्दिक धन्यवाद देते हैं। राजस्थानी भाषा के प्रस्तुत महाकाव्य का प्रकाशन भारत सरकार के वैज्ञानिक और सांस्कृतिक मन्त्रालय के आर्थिक सहयोग से आधुनिक भारतीय भाषा विकास योजना के अन्तर्गत हुआ है । तदर्थ हम भारत सरकार के प्रति आभार प्रकट करते हैं। . __इस ग्रन्थ में प्रकाशनार्थ कविया करणीदानजी का चित्र महाराजा साहिब जोधपुर के निजी ग्रन्थ-भण्डार पुस्तक प्रकाश में से ठाकुर श्री जयकृतसिंहजी, एडमिनिस्ट्रेटर के सौजन्य से और महाराजा अभयसिंहजी का चित्र राजस्थानी-शोध-संस्थान जोधपुर, से इसके सञ्चालक श्री नारायणसिंहजी भाटी के सौजन्य से प्राप्त हुआ है जिसके लिए हम दोनों ही महानुभावों को धन्यवाद देते हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, । सं० २०२०, जोधपुर। मुनि जिनविजय सम्मान्य सञ्चालक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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