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________________ [ ५० ] के साथ जोधपुर का शासन-भार सौंप दिया था। परन्तु महाराजा के स्वामिभक्त नोकरों व सरदारों के आगे इन्द्र सिंह की एक न चलो। वि.सं. १७७३ में महाराजा अजीतसिंह ने इन्द्रसिंह से नागौर छीन लिया। किन्तु वि.सं. १७८० में बादशाह ने नागौर का अधिकार पुनः इन्द्रसिंह को दे दिया । महाराजा अभयसिंह ने वि.सं. १७८२ में इन्द्रसिंह पर हमला कर के नागौर अपने छोटे भाई बखतसिंह को दे दिया। इन्द्रसिंह दिल्ली चला गया, जहाँ बादशाह ने उसे सिरसा, भटनेर, पूनिया और बैहणी-वाल के परगने जागीर में दिये । वि.सं. १७८६ में दिल्ली नगर में इन्द्रसिंह का देहान्त हो गया। उम्मेदसिंह राव छत्रसाल के बाद मानसिंह सिरोही का राजा बना। गद्दी पर बैठते ही इसने अपना नाम उम्मेदसिंह रख लिया। अहमदाबाद विजय को जाते हुए महाराजा अभयसिंह सिरोही ठहरा और सिरोहो को लूटने की आज्ञा दे दी। इसके सिपाही सिरोही को लटने लगे तब सिरोही के राव उम्मेदसिंह ने अपनी पूत्री का विवाह महाराजा से कर उससे संधि कर ली और अपनी फौज महाराजा के साथ भेज दी। औरंगजेब (बादशाह) यह बादशाह शाहजहाँ का पुत्र था। इसका जन्म २४ अक्टूबर १६१८ ई. को मुमताज महल के गर्भ से दाहद में हुआ था। इसने उज्जैन के युद्ध में महाराजा जसवन्तसिंह राठौड़ को पराजित किया, धौलपुर के पास शाहशुजा को हराया, ईश्वर को साक्षी कर के मुराद से मित्रता की और उसे मरवा डाला, पिता को बन्दीघर में डाल दिया और ऐसे ही अनेक काम कर के बादशाही प्राप्त की। यह अातंकवादी बादशाह था । इसने हिन्दुनों पर मनमाना अत्याचार किया। जजिया कर लगाया । मन्दिर तुड़वाये। हिन्दूओं को मुसलमान बनाया। महाराजा जसवन्तंसिंह को मरवाने के लिये षड़यंत्र रचे । इसने महाराजा जसवन्तसिंह के पुत्र अजीतसिंह के साथ दुर्व्यवहार किया। इसी के कारण अजीतसिंह को लम्बे समय तक इधर-उधर भटकना पड़ा। यह जोधपुर राज्य पर अधिकार करना चाहता था। किन्तु उसकी यह इच्छा पूर्ण नहीं हुई। ई.सं. १७०७, ३ मार्च में इसका देहावसान हो गया। कंठराज (कंथाजी) यह मरहठों की सेना का सेनानायक था। इसका पूरा नाम कथाजी कदम बाँडे था । मरहठों द्वारा गुजरात पर आक्रमण करने के समय इसने साहसपूर्ण भाग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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