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[ ४० ] मुताखरीन' के अनुसार अभयसिंह ४०-५० हजार सेना लेकर गुजरात की ओर चले थे ।'
अतः अनुमान लगाया जा सकता है कि महाराजा बीस सहस्र अश्वारोही लेकर चले होंगे। कुछ सहस्र अन्य सैनिक भी होंगे तथा अहमदाबाद पहुँचतेपहुँचते उनके पास लगभग ४०-५० सहस्र सेना हो गई होगी।
महाराजा की सेना के १२० बड़े-बड़े योद्धा और ५०० अश्वारोही सैनिक मारे गये तथा ७०० सिपाही घायल हुए, यथा
भड़ पयदळ गज भिड़ज पड़े 'विलंद' रा अपारां। न को पार घायला, हुवा लोह में सुमारां । उला भड़ एक सौ वीस, पड़िया जिण वारां ।
पमंग पड़े पंचस, धमक सेलां खग धारा । सात से हुवा घायल सुभट, लई 'अभै' जस वद लियो। आजरा वार मझि पोही अवर, जुध इम किणं न जीपियो ।।
सू. प्र. भाग ३, पृ. २६१ सर बुलन्द की सेना ग्रंथ में सर बुलन्द की सेना के प्रांकड़े कई स्थानों पर भिन्न-भिन्न दिये हुए हैं किन्तु उनसे स्पष्ट नहीं कहा जा सकता कि सर बुलन्द के पास कुल कितनी सेना थी ?
सर्व प्रथम कवि ने सर बुलन्द की सेना का उल्लेख उस स्थान पर किया है जब बादशाह मुहम्मदशाह द्वारा विद्रोही हमीद खां का दमन करने के लिये पचास सहस्र सेना और उसके व्यय के लिये एक करोड़ रुपया देना तय कर के सर बुलन्द को गुजरात भेजा गया, यथा
वाका सुरिण असपती, कहर कोपियो भयंकर । विदा कीध सिरविलंद, दूठ समसेर बहादर । दोध कोड़ हिक दरब, दीध पच्चास सहंस दळ । सुजड़ खाग सिरपाव, मुसक असि दीध मद्दगळ । कत्ताबम मुरजल-मुलकका, दोध अराबा घण मुदित। ईरांन विरद उजवाळ पान दीध तूरांनपति ।।
सू. प्र. भाग ३, पृ. २३८,२३६
१ पं० विश्वेश्वरनाथ रेऊ द्वारा लिखित मारवाड़ का इतिहास, भाग १, पृ. ३४१ का फुटनोट ।
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