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________________ राज्य की राजधानी है। यह पश्चिमी रेलवे के पिंडवाड़ा स्टेशन से १६ मील दूर है। महाराव सेसमल ने इसे बसाया था। राजमहल पहाड़ पर बसे हुए हैं जिनका सौन्दर्य दूर-दूर से दिखाई देता है । इनमें से मुख्य और पुराना हिस्सा (भाग) जो अपने सौंदर्य के लिए अत्यधिक प्रसिद्ध है महाराव अखेराज ने बनाया था। शेष हिस्से भिन्न-भिन्न समय में बने हुए हैं । राजमहलों के नीचे थोड़ी दूर पर जैन-मंदिरों का समूह है। जो देरासरी नाम से प्रसिद्ध है । इन जैन-मंदिरों में चौमुखीजी का मन्दिर मुख्य है जो विक्रम सं० १६३४ (ई० सं० १५७७) मार्गर्शीष सुदी ५ को बना था । यहाँ शिव और विष्णु के मन्दिर भी हैं। शहर के निकट मान-सरोवर नामक एक बड़ा तालाब भी है जो अति सुंदर है । सिवपुरी (शिवपुरी) महाराव सिवभाग ने जिनका नाम शोभा था सिरणवा नामक पहाड़ी के नीचे वि. सं० १४६२ में सिवपुरी नामक नगर बसाया और उक्त पहाड़ी पर किला भी बनवाया। यह शहर महाराव सिवभांरण के नाम से सिवपुरी कहलाया गया जो वर्तमान सिरोही से अनुमानतः दो मील पूर्व में खण्डहर के रूप में अद्यावधि विद्यमान है जिसको लोग पुरानी सिरोही कहते हैं । कालान्तर में यही सिवपुरी सिरोही कहलाया जाने लगा। सूरत - यह गुजरात का एक प्रसिद्ध बन्दरगाह था। थेवनोट (Thevenot) के लेखानुसार १६६६ में इसकी आमदनी १२००००० थी। यह बड़ा समृद्धिशाली नगर था। इसका किला ताप्ती नदी पर बना हुआ है जो समुद्र तट से १२ मील दूर है । ह्वेनसांग के कथनानुसार 'सरत' या 'सौराष्ट्र' सातवीं सदी में उत्थान की चरम सीमा पर था। उस समय यह नगर इस प्रायद्वीप के सम्पूर्ण भाग को घेरे हुए था और बल्लभी नगर भी इसी के अन्तर्गत था। प्राचीन लेखानुसार इसकी ख्याति भी पूर्ण प्रायद्वीप के लिए सन् ६४० तक थी। सोजत इस तहसील का मुख्य नगर है। यह पश्चिमी रेलवे के सोजत रोड स्टेशन से करीब ६ मील दूर है । इसका सुदृढ़ प्राचीन किला पहाड़ी पर बना हुआ है । यहाँ प्राचीन समय में सोनगरा वंश के चौहानों का अधिकार था। बाद में महाराजा अजीतसिंह ने इसे अपने कब्जे में कर लिया जो बहुत समय से राठोड़ों के अधिकार में रहा । wwwwwwwwww Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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