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________________ [ ५६ ] कन्नौज यह नगर उत्तरप्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में है। इसकी स्थिति २७°३" उत्तर अक्षांश तथा ७६°५६" पूरब देशान्तर है। प्राचीन काल में गंगा नदी इस नगर के बाजू में बहती थी। ईसा की पांचवीं शताब्दी में यह गुप्त साम्राज्य का प्रमुख नगर था। इस नगर को छठी शताब्दी में हुणों ने आक्रमण कर के नष्ट कर दिया था। चीनी यात्री हनसांग ने भी इस नगर का उल्लेख किया है । ११वीं शताब्दी के प्रांरभिक काल में यवनों के आक्रमण के कारण यह नगर नष्ट-भ्रष्ट हो गया । इसके बाद ई० सन् ११६४ में मुहम्मद गोरी ने आक्रमण कर के इस नगर पर अपना अधिकार जमाया। अकबर के समय में भी यह उत्तरप्रदेश के मुख्य नगरों में था । वर्तमान समय में यह नगर सुगंधित इत्र मादि के लिये प्रसिद्ध है। करौली यह राजस्थान का छोटा-सा राज्य था जो पूर्वी सीमा पर २६°३५ व २६०४६" उत्तर अक्षांश और ७६°३५" व ७७°२६" पूर्व देशान्तर के मध्य में स्थित है । इसका क्षेत्रफल १२०० वर्ग मील है। इस नगर को वि० सं० १४०५ में राजा अर्जुनदेव ने बसाया था और कल्याणराय के मन्दिर के कारण इसका नाम करौली रक्खा गया। प्राचीन काल में यहाँ मीनों की आबादी अधिक थी। ये लूट-पाट अधिक किया करते थे जिससे इस नगर की तरक्की नहीं हई । राजा गोपाललाल ने इन मीनों को दबा कर शहर की तरक्की की। कागो ' यह स्थान जोधपुर से १ मील उत्तर दिशा में स्थित है। प्राचीन ग्रंथों के आधार पर यह कहा जाता है कि यहाँ काकभुसुण्डजी ऋषि ने तपस्या की थी। इसी से इसे कागा कहते हैं । यहाँ का जल बड़ा स्वच्छ तथा स्वास्थ्यप्रद है । यहाँ शीतलादेवी का बड़ा सुन्दर मन्दिर है, जो पहाड़ काट कर उसकी चट्टान के नीचे बनाया गया है । यहाँ प्रति वर्ष चैत्र कृष्णा अष्ठमी को शीतला का मेला लगता है, जो तीन-चार दिन तक रहता है। इसके समान जोधपुर में जन-समूह के लिहाज से दूसरा मेला नहीं लगता । यहाँ के पुजारी गहलोत वंश के माली है। यहाँ का बाग पहले बड़ा सुन्दर था और इस बाग के अनार भारत भर में प्रसिद्ध थे, किन्तु महाराजा सर प्रतापसिंह के द्वारा यह बाग समूल नष्ट करवा दिया गया। यहाँ एक गौशाला भी है । कागा के पास श्मशान भी हैं। कागा जोधपुर के तीर्थ-स्थानों में गिना जाता है। किशनगढ़ यह नगर राजस्थान के पूर्वी भाग में बसा हुआ है । मोटा राजा उदयसिंह के १४ पुत्रों में से किसनसिंह जहाँगीर के पास रहता था। बादशाह जहाँगीर ने उसकी सेवाओं से प्रसन्न हो कर सेठोलाव जागीर में दिया था, जिसके खंडहर अब भी किशनगढ़ के पश्चिम की तरफ मौजूद हैं । उसी स्थान पर वि० सं० १६६६ में किसनसिंह ने किसनगढ़ बसाया। यह नगर फूलेरा से अजमेर जाने वाली पश्चिमी रेलवे का स्टेशन है । नगर छोटा होने पर भी बहुत सुन्दर ढंग से बसाया गया है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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