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________________ [ ३३ ] मुहम्मद शाह ने इन्हें उपहार भेंट किये और नागौर आदि परगने, जो महाराजा अजीतसिंह से ले लिये थे, इन्हें पुनः लौटा दिये । ऐतिहासिक दृष्टि से यह घटना ठीक है। महाराजा अभयसिंह का नागौर पर आक्रमण करना और अपने अनुज बखतसिंह को वहाँ का स्वामी बनाना . नागौर पर उस समय राव इन्द्रसिंह का अधिकार था। महाराजा अभयसिंह ने उसको हरा कर अपने अनुज बखतसिंह को वहाँ का राजा बनाया। ___ ऐतिहासिक दृष्टि से महाराजकुमार अभयसिंह ने दिल्ली से जो पत्र लिखा था उसमें अपने अनुज बखतसिंह को यह प्रलोभन दिया था कि यदि तुम अपने पिता महाराजा अजीतसिंह को मार डालो तो मैं तुम्हें नागौर दे दूंगा। उसी के अनुसार बखतसिंह को वि० सं० १७८२ (ई० स० १७२५) में 'राजाधिराज' के खिताब के साथ नागौर का स्वामी बनाया गया। महाराजा का बादशाह के दरबार में पान का बीड़ा उठाना जब बादशाह मुहम्मद शाह को यह मालूम हुआ कि सर बुलन्द गुजरात में दक्षिणियों से मिल गया है और स्वयं गुजरात का अधीश्वर बन गया है तो वह बड़ा भयभीत हुआ और एक दरबार किया जिसमें उस समय के बड़े-बड़े उमराव, नवाब, अमीर, राजा-महाराजा उपस्थित थे। बादशाह ने सर बुलन्द के विरुद्ध अपने दरबार में पान का बीड़ा घुमाया। सर बुलन्द की शक्ति का मुकाबिला करने के लिये किसी को भी हिम्मत बीड़े को छूने की नहीं हुई। महाराजा अभयसिंह ने बड़े उत्साह से बादशाह को धैर्य बँधाते हुए बीड़े को ग्रहण किया। 'राजरूपक' से भी इस घटना की पुष्टि होती है। टॉड' साहब के अतिरिक्त किसी अन्य इतिहासवेत्ता ने इस घटना का उल्लेख किया हो, ऐसा देखने में नहीं आया है। यद्यपि टॉड साहब ने 'सूरजप्रकास' और 'राजरूपक' के आधार पर ही लिखा है, किन्तु यह घटना सत्य प्रतीत होती है, क्योंकि उस समय पान का बीड़ा घुमाये जाने की प्रथा थी। ' टॉड राजस्थान, अनुवादित, पं० बलदेवप्रसाद मिश्र, भाग २, पृष्ठ १७१ २ राजरूपक, पृष्ठ ६५८,६५६ 3 टॉड राजस्थान, अनुवादित, पं० बलदेवप्रसाद मिश्र, मुरादाबाद, भाग २, पृष्ठ १७४,१७५, १७६ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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