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________________ [ ३४ ] छंद का नाम प्रथम पंक्ति पृ० प्रकरण पद्यांक मोतीवाम ४५ १७७ ७ १३२ १६२ 666 ६६० १२० ३०३ ४१४ ५६६ १६० १५८ १७१ १६२ १७४ १७६ ६१२ ६८६ ६२३ ६४० ४६६ ४२५ १०४ १४२ १२२ १४५ उगा मुख बारह दीत उदार उगंतिय मौसर 'सूर' उदार उझेल बगतर पोस अपाल उठ 'किसनेस' सुतन्न 'अनोप' उठ 'कुसलेस' तणो दईवांन उठ खग वाहत रोस उमंग उठ 'जगतेस' खळां अजरत उठ चत्रकोट बळा उजवा उठ महियार 'नवल्ल' अपल्ल उठे रिणछोड़ सुजाव अरोड़ उडै असि ऊपर लोह अपार उडै कटि पेच छिळे जळ प्रोट उडै खग प्राछट सीस अपार उड खग झाटक जंग अथाह उडे झळ-मंगळ झाळ अंगार उतारत नीर खळा प्रवगाढ उदावत 'जीवण' वीजळ दाव उसिंघ 'रावत' 'गोकळ' ऊत उपाडइ वीर बजंग प्रराधि उमा मुक्ताफळ ले वड़वार 'उमेवह' जोध लड़े प्रवनाड़ उभी हुय जांणिक गोख अटारि . उभे हुय टूक पड़े असुरांण उरै प्रसि पांडव जेम अजन्न उरै पित प्रागळ बाज अपाल उरै जुध बीच तुरी 'अजबेस' उवक्कत घाव रगत्र उलाळ उबोसत सीस लड़े धड़ एक ऊदावत 'साम' लड़े अवनाड़ एको असि तूटि पड़े अवसांण एको भड़ जोड़ फबै भड़यैत भोरे असि पारण धोम प्रताळ कर घण झाटक लौह कराळ कट जुध बीच अडिग कदम्म कट पळ कमळ स्त्रीफळ कोध १८४ ५१४ ६६. १७२ ४५४ ४३६ १३० १३३ १२५ १७० १८२ १८१ १५३ १५४ ६०७ ६४६ ६४६ ७ ५४५ २७६ २०७ ७ १२६ १२६ ४३८ ४३६ १४८ ४६ १६२ ७ ७ ६५७ ६४७ १८१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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