________________
[ ३३ ]
छंद का नाम
प्रथम पंक्ति
पृ० प्रकरण पद्यांक
६४
१४७
२०२ ५१६ ४३७
१२५
३७१
१०६ ६२
३११ ५९० २५५ ४४४
७७ १२७
२१७
४८ १६३ ७३
१४४ ६९४ २३७
१८५
३६२
६७७
१८६ १८०
मोतीदांम 'अनावत 'अम्मर' खाग उनांग
'अनावत' दूठ 'गजो' उणधार अनेकह खाग हणे 'प्रभ' एक 'अनौ' 'हरि' 'तेज' वर्ण दइवाण 'प्रभम्मल' भूप 'उमेद अभंग 'प्रभा' छळि एम लड़े दइवांण 'प्रभा' छळि मेड़तनेर अभंग 'प्रभावत' क्रोध सझे अणथाह 'प्रभ' भुजभार दियौ अणथाह 'प्रभमल' अग्न ‘फतावत' एम 'अमल' प्रागळ जोध अपार 'प्रभमल' प्रागळ सूर उदार 'प्रभौ' भड़ 'जैत' तणो अवनाड अमावड़ तेज मजेज प्रसाधि 'प्रवा' सह खेलत फाग भुपाळ अयौ रथ बैसि समोसर इंद प्रयौ वैकुंठ हुंता सु विमांण प्ररी खग झाटत धोम अमेळ पीर खग झाडि छिबै असमान परी सिर तोड़ रगत्र उफांण परी घट साबळ अंत अळूझ प्ररी थट हूर वराय अनेक असुरां घट बाढत खाग अरोड़ इखै पित ऊपर लोह अपार इखै रथ यांभि प्रदीत अचंभ इताभड़ चारण क्रोष प्रसाधि इती कहतां गुण लागिय वार इलोळत स्रोण विचै खळ एम इसी कर ले गुण झाट उपाट इसी विध 'मान' लड़त अबोह इसी विध लोह कर अणथाह इसी विध साबळ स्रोण अखाय इसी विध सेलह पौस उझेल इसौ 'कंठराज' जिको दईवाण इसौ भड़ 'केहर' रौ दइवाण
99999999999999999999999999999999999
४८८ ६१६
१७३
२४६ ५४७
१५४
१०६
५५
१७२
६१४
३६
१२६
१०६ ४५२
. ११८
१५६ १२८
४०५ ५५५
३६१
२६८ १६७
५६७
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org