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________________ [ ३२ ] सिंह का दिल्ली जाना तय हुआ । यह घटना भी इतिहास सम्मत है । महाराजकुमार अभयसिंह का बादशाह के दरबार में कुपित होना एक समय दिल्ली में महाराजकुमार अभयसिंह बादशाह मुहम्मदशाह के दरबार में गये । वहाँ बैठे हुए सभी बड़े बड़े उमरावों और अमीरों को पीछे छोड़ते हुए वे बादशाह के बिलकुल निकट पहुँच गये । उस समय वहाँ के एक अमीर ने इन्हें रोक दिया । इस पर उन्होंने क्रोधित होकर कटार निकाल लो। बादशाह मुहम्मदशाह, जो यह सब कुछ देख रहा था, तुरन्त सिंहासन पर से उठा और उसने तुरन्त अपने गले में पहना हुआ हीरों का हार इनको पहना दिया तथा अनुनय-विनय करके बड़ी कठिनाई से इनका क्रोध शान्त किया । इस घटना का उल्लेख टॉड साहब ने भी किया है । " यद्यपि बहुत कम इतिहासकारों ने इस घटना का उल्लेख किया है किन्तु यह घटना असत्य प्रतीत नहीं होती है। राठौड़ राजकुमार के इस कार्य से हमें राठौड़ अमरसिंह द्वारा घटित बादशाह शाहजहाँ के दरबार की घटना का स्मरण हो जाता है । महाराजा श्रजीतसिंह का मारा जाना टॉड', प्रोझा', रेउ तथा अन्य इतिहासकारों के अनुसार दिल्ली में महाराजकुमार अभयसिंह ने बादशाह के षड़यंत्र में फंस कर तथा आमेर नरेश जयसिंह के सिखाने से अपने पिता महाराजा अजीतसिंह को मारने के लिये अपने भाई बखतसिंह को लिखा । उसने ( चैत्रादि) वि० सं० १७८१ आषाढ़ सुदि १३ तदनुसार २३ जून १७२४ ई० को जनाने में सोते हुए महाराजा को मार डाला । 'सूरजप्रकास' और 'राजरूपक' में केवल महाराजा के देहावसान का ही उल्लेख करके कवि मौन हो गये हैं । सम्भवतया राज्याश्रित होने के कारण इन ग्रंथों में ये कवि अपने इस कर्तव्य का पूर्ण रूप से पालन न कर के निष्पक्षता से पराङ्मुख रहे। महाराजा अभयसिंह का राजतिलक महाराजा अजीतसिंह की मृत्यु के समय राजकुमार अभयसिंह दिल्ली में थे । उनका राजतिलक भी दिल्ली में ही हुआ । इस अवसर पर बादशाह १ टॉड राजस्थान, अनुवादित, पं० बलदेवप्रसाद मिश्र, मुरादाबाद, भाग २, पृष्ठ १५७ - १५८ टॉड राजस्थान, अनुवादित, पं० बलदेवप्रसाद मिश्र, मुरादाबाद, भाग २, पृष्ठ १५८ - १५६ ३ डाँ० गौरीशंकर हीराचन्द ओझा द्वारा लिखित राजपूताने का इतिहास, भाग २, पृष्ठ ६०० ४ मारवाड़ का इतिहास, भाग १, पृष्ठ ३२७, पं० विश्वेश्वरनाथ रेऊ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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