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________________ ४२ ] सूरजप्रकास व्रस्चक' सक्रांत दिन खट वितीस' । ससि सुक्र रासि तुल वर सधीस । राजै तदि मंगळ कुंभ रासि । कहि मीन ब्रहस्पति बळ प्रकासि ॥ ३५ रचि मीन रासि सनि करक राह । अरु मकर रासि केतह अथाह । कहि वस्चक भांण बुध बुध प्रकास । तन लगन'' मिथुन सुभ अनत तास ॥३६ चित सुद्धि रासि ग्रह २ इम चवेस । कहि ग्रह प्रताप वरणन'४ कवेस । रवि छठे भुवन१५ खळ मैं रूक* । 'पारांण'६ फतै पावै अचूक ।। ३७ तप वधै भाण उद्योत" तेम । अन'८ भूप दबै खद्योत' एम२१ । १ ख. वृश्चक । ग. विश्चक । २ ख. ग. वितीत । ३ ग. राशि। ४ ख. ग. कहै । ५ ख. ग. वृहस्पति। ६ ख. ग. वळ । ७ ग. प्रकास। ८ ख. केतक। ६ ख. ग. वृश्चिक । १० ग. बुधि । ११ ग. लग्न । १२ ख. ग. यम। १३ ग. करि। १४ ख. वरण । ग. वरणण। १५ ख. ग. भुवनि । *यह पंक्ति 'ख' प्रतिमें अपूर्ण है । *ये पंक्तियां 'ख' प्रतिमें नहीं हैं। १६ ग. पाराणि । १७ ग. उद्यौत । १८ ग. अनि। १९ ग. दव। २० ग. षिदोत । २१ ग. ऐम ३५. वस्चक सक्रांत - वृश्चिक संक्रान्ति । दिन खट वितीस - वृश्चिक संक्रांतिके छः अंश व्यतीत हो चुके थे। ससि...."धीस - चंद्रमा और शुक्र तुला राशिमें थे। राजै'मीन ''कुंभ रासि - इस समय मंगल ग्रह कुंभ राशिमें था। कहि प्रकासि - बृहस्पति राशिमें था। ३६. रचि ..."राह - जन्मकुंडली में मीनका शनि और कर्क राशिका राहु है । अरु मकर' केतह -- मकर राशिमें केतु ग्रह है। कहि ..."बुध प्रकास - वृश्चिक राशिमें सूर्य और बुध ग्रह हैं जो बुद्धिका प्रकाश करते हैं । तन'..."तास - तनु भावमें शुभ मिथुन लग्न है । लगन = पूर्व क्षितिजमें उदय होने वाली राशि, लग्न । ३७. चवेस - कहे जाते हैं। कवेस = कवीश - महाकवि । रवि....."अचूक - छठवें स्थान में सूर्य रहने से शत्रुओंको नष्ट करता है, युद्ध में विजय होगी और अन्य राजा उसके सामने खद्योतके (नक्षत्र अथवा जुगनू) समान रहेंगे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003387
Book TitleSurajprakas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1992
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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