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सूरजप्रकास
[ २६३ मजबूत' धूम- डाचा मगर, जियां पूंछ करवत जिसा । झोखियां' सिंधु' नुखतां झटकि, अंध कंध राकस इसा ॥ ३११
नवहत्थो झोकरा, *मसत फीफरा भरारा। बगलां उरळी बिहूं, बगलि नीकळे छिकारा*। रँग केइक रातड़ा, भसम —हर भमराळा ।
जटा जूट ऊजळा, केइक भूरा केइ काळा । मिळि रीछ रूप अधियांमणा", जकस'२ जिहाजां जम जिसो । झोकियां सिंधु'४ नुखतां झटकि, अधकंध राकस इसा ।। ३१२
रब्बारां'५ थप्पले'६, घग्घ१७ पाकेट भयंकर ।
नेसां चसळक नयण, झाळ झागूडां नीझर । १ ख. जमबूत । ग. मजबूत। २ ख. थूड। ग. थूभ । ३ ख. झेकीया। ग. झेकिया। ४ ख. सुंध । ग. संध। ५ ख. ग. नवहथी। ६ ग. मसक ।
*...* रेखांकित पंद्यांश ख. प्रति में नहीं है । ७ ग. नाकले। ८ ग. बिकारा। ख. ग. भंभराळा। १० ख. ग. के। ११ ख. ग. अध्रीयांमणा। १२ ख. ग. जकसि। १३ ख. झेकीयां। १४ ख. ग. संध। १५ ख. रेवाला । ग. रेवारां। १६ ख. थापले । ग. थापल। १७ ख. ग. घघ ।
३११. धुंभ - कोहान, डिल्ला। मगर - घड़ियाल नामक प्राणी । डाचा - मुख, खुला मुख ।
जियां - जिन । झोखियां - ऊंटको बैठाने पर। सिंधु-ऊंट, ( ? )। नुखतां -
ऊंटका नाकसे बांथनेकी रस्सी, मोहरी। झटकि – झटके के साथ खींच कर । ३१२. नवहत्थी - नो हाथ लंबा। झोकरा - ऊंटके बैठने के स्थानका । मसत फोफरा-भरारा
वह इतने मस्त हैं कि उनके फेफड़े फूले रहनेसे मुखकी आवाज भर्राई सी होती है। बगलां - ऊंटके दोनों अगले पैरोंके पासका वह स्थान जहांसे वे ऊंटके धड़से मिलता है। उरळी - चौड़ी। बिहूं- दोनों । छिकारा - (खरगोश ?) । रातड़ा - लाल । भसम - भस्मीके समान रंगका। हर - अाकाशमें बाहुल्यतासे छा जाने वाले रज-करण या इस प्रकारके छा जाने वाले रज-काके रंगके समान रंगका। भमराळा - भ्रमरके समान रंगका। जटा जूट - घने बालों वाला । ऊजळा - सफेद रंगका। काळा – श्याम रंगका। अधियांमणा - भयंकर। जकस - ( ? ) । जिहाजां - जहाजों ।
झोकियां - ऊंटोंको भूमि पर बैठाने पर । ३१३. रब्बारां - रेबासे राजस्थानकी एक जाति विशेष जिसका प्रमुख कार्य ऊँट रखने और
चरानेका होता है। थप्पले – पीठ पर थपेड़े देकर जोश दिलाता है। घग्घ - ऊंट । पाकेट - ऊंट। नेस - ऊंट के दांत । चसळक - मस्तीमें पाए हुए ऊंट द्वारा अपने मुंहको चलाते हुए की जाने वाली दांतोंकी ध्वनि विशेष । झाळ - तेज । झाडांफेन । नीझर - निकलते हैं।
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