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________________ [ १० ] भयभीत होकर महाराजा अजीतसिंहको पत्र लिख कर प्रार्थना की कि अब मेरी लज्जा आपके हाथ में है, आप ही मुझे बचा सकते हैं। इस पर महाराजा अजीतसिंहने सैयद बंधुओंको समझा-बुझा कर अामेरकी और जानेसे रोका, यद्यपि सैयद बंधु मनमें जयसिंहसे बहुत जलते थे, किंतु महाराजा अजीतसिंहके सामने उनकी कुछ चल नहीं सकी और सब दिल्ली लौट आये । कुछ समय पश्चात् महाराजा अजीतसिंहने बादशाहसे विदा मांगी। बादशाहने कई बहुमूल्य वस्तुएं महाराजाको भेंट की और बड़े सम्मानके साथ विदा किए। महाराजा अजीतसिंह शोपुरके राजा इन्द्रसिंह, बूंदोके हाडा बुधसिंह, रामपुरके राव, शिशोदिया अखैमल और फतैमल आदिको साथ लेकर रवाना हुए। मार्गमें आमेर नरेश जयसिंहको भी साथमें ले लिया और सबके सब मनोहरपुर होते हुए जोधपुर आ गये। जोधपुरमें अतिथियों सहित महाराजा अजीतसिंहका शानदार स्वागत हुआ। सभी अतिथियोंको जोधपुर में ठहराया और उनका खूब आदरसत्कार किया। महाराजा अजीतसिंहके दरबार में सभी अतिथि उपस्थित हुए और सबने महाराजाको मुजरा कर के नजरें की। इस अवसर पर महाराजाने अपनी पुत्रीका विवाह आमेर-नरेश जयसिंहके साथ बड़े ठाट-बाटसे कर दिया । कुछ समय पश्चात् महाराजा अजीतसिंहजीको यह खबर मिली कि बादशाह मुहम्मदशाहने सैयद बन्धुओंमें से हुसैनप्रालीको मरवा डाला और दूसरे भाई अबदुल्लाको कैद कर लिया। इससे महाराजा बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने तुरन्त अपनी सेना लेकर अजमेर पर धावा बोल दिया और वहां के तारागढ़ पर राठौड़ोकी पताका फहरने लगी। जिस अजमेरमें कुरानके पाठ होते थे, गौहत्या होती थी वह सब बन्द होकर मंदिरोंसे घंटा-रव और शंखनाद सनाई देने लगा। इस समय महाराजा अजीतसिंहजी एक बादशाह की तरह शाही शानशौकत से अजमेर में रहने लगे। इन्हीं दिनों महाराजाने सांभर, डीडवाना आदि पर अपनी सेनाएँ भेज कर वहांके शाही फौजदारको भगा दिया और अपना अधिकार कर लिया। बादशाह मुहम्मदशाहने महाराजा अजीतसिंहका दमन करनेके लिये मुजफ्फरखाँको तीस हजारकी विशाल सेना देकर भेजा। मुजफ्फरखाने मनोहरपुरमें आकर पड़ाव किया। इधर महाराजा अजीतसिंहने एक बड़ा दरबार किया और महाराजकुमार अभयसिंहको मुजफ्फरखाँका मुकाबला करनेके लिए भेजनेका निश्चय किया। महाराजकुमार अभयसिंहने इस अवसर पर बड़ा उत्साह दिखाया और अपनी सेनाके साथ रघनाथ भंडारीको लेकर रवाना हुए। राठौड़वाहिनीको Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003387
Book TitleSurajprakas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1992
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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