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सूरजप्रकास
पीलवानह प्रोप |
के जड़ित जवहर कांम, धुर मेघडंबर धांम | लड़ लूंब मोतिय* लागि, जग जोति प्रति छवि जागि ' ॥ २४ पौसाक ऊंच अनोप, इम असवार गज उण वार', महमाय पूजा मांन, महरंग करि घंट घोर किलाव, वणि चमर बंध' वणाव ।। २६ भळहळत चित्रत भाल, ढळकंत
पुज
रंग
रंगढ़ाल ।
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धज फरर नेजा धार, सभि तोग धर वणि मही- मुरतव" वाग, नौबत्ति धरहरत मदझर धार, वप सघण जिम बह १४ लंगर धर चख बोळ, क्रीड़ंत भसर लवाजमारा घोड़ांरौ वरणण
३ ख जाग ।
तदि नचत नाचतुरंग, प्रति चपळ नटवर अंग ॥ २६ १ ख. मेघडंबर | २ ख. ग. मोतीय । ४ ग. अनौप । ५ ग. श्रौष । ६ ग. उण बार । ७ ख. मोहोरंग । ग. मोहरंग । ८ ग. ज । ६ . बंध । १० ख. भलहलत । ११ ग. मही मुरतब | १२ ख. ग. नौवति । १३ ग. विस्तार । १४ ख.
वोहौ । ग. बौहो ।
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२४. जवहर- जवाहरात पंक्ति । छवि - शोभा ।
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देव दुज अणपार ।। २५ गज मसतांन ।
सवार ।। २७
धारक नाग ।
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विसतार ३ ॥ २८
कपोळ |
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मेघडंबर - मेघाडंबर । लड़-लूंब मोतिय- मोतियोंके गुच्छोंकी
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२५. ऊंच - श्रेष्ठ | अनोप - अनुपम, बढ़िया । पीलवांनह - महावत श्रोष - शोभा देती है । दुज = द्विज - ब्राह्मण । श्रणपार - असीम, अपार । २६. महमाय - महामाता, देवी, दुर्गा। महरंग - ( ? ) । मसतांन- मस्त । करिहाथी । घंट - घंटा जो हाथीकी भूल के साथ लटकता रहता है। किलाव - हाथी, ऊँट, कुत्ते आदि गलेका पट्टा, किलादः । चमर बंध - ( ? ) ।
२७. भळहळत - देदीप्यमान । भाल - ललाट । ढळकत - लुढ़कती है।
धज - ध्वजा
फरर - - छोटी-छोटी झडिएँ जो भालोंके साथ लगी रहती हैं । नेजा - भात्रा । तोग - मुगलकालीन बादशाहोंका ध्वज विशेष जिस पर सुरा गायके पूंछके बालोंके गुच्छे लगे रहते थे ।
२८. मही- मुरतव - यवन बादशाहोंके आगे हाथी पर चलने वाले सात फंडे जिन पर मछली और ग्रहों प्रादिकी आकृतियाँ होती थीं, माहीमरातिब । नौबत्ति - नोबत, नगाड़ा विशेष | धारक - धारण करने वाला | नाग - हाथी । धरहरत - ध्वनि विशेष । मदर हाथी । बप वपु, शरीर । सघण - घना ।
२६. लंगर - श्रृंखला, जंजीर । चख - चक्षु, नेत्र । बोळ - लाल । क्रीड़ंत - क्रीड़ा करते हैं। तुरंग - घोड़ा । चपळ - चंचल । नटवर - श्रेष्ठ नट ( जैसे फुर्तीले ) ।
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