________________
४२४
आवश्यक मूलसूत्रम्-१.१/२
वायाए काएणं एस एक्को भेओ १।
चो०-न करेईचाइतिगं गिहिणो कह होइ देसविरअस्स ?। आ०-भन्नइ विसयस्स बहिं पडिसेहो अनुमईएवि ॥४॥ केई भणति गिहिणो तिविहंतिविहेण नस्थि संवरणं ।
तं न जओ निद्दिष्टं पन्नत्तीए विसेसेउं ॥५॥ तो कह निजुत्तीएऽनुमइनिसेहोत्ति ? सो सविसयंमि । सामण्णेणं नत्थि उ तिविहं तिविहेण को दोसो ?।।६।।
पुत्ताईसंतइणिमित्तमिथमेक्कारप्ति पवण्णस्स । जंपंति केइ गिहिणो दिक्खाभिमुहस्स तिविहंपि ॥७॥ आह कहं पुण मनसा करणं कारावणं अनुमई य । जह वयतणुजोगेहिं करणाई तह भवे मनसा ॥८॥
तदहीनत्ता वइतणुकरणाईणं अहव मनकरणं । ___ सावञ्जजोगमणणं पन्नत्तं वीयरागेहिं ॥९॥ कारवणं पुण मनसा चिंतेइ य करेउ एस सावजं ।
चिंतेई य कए पुण सुटु कयं अनुमईं होइ ॥१०॥ एस एक्को भेओ गओ ।। इदानि बितिओ भेओ-न करेइ न कारवेइ करेंतपि अन्नं न समणुजाणइ मणेण वायाए एस एक्को १, तहा मणेणं काएण य बितिओ २, तहा वायाए कारण य ततिओ ३, एस बितिओ भूलभेओ गओ ।। इयाणि तइओ-ण करेइ न कारवेइ करेंतपि अन्नं न समणुजाणइ मणेण वायाए एस एको १, तहा मणेणं कारण य बितिओ २, तहा वायाए य ततिओ ३, एस बितिओ भूलभेओ गओ ।। इदानि तइओ-न करेइ न कारवेइ करेंतंपि अन्नं न समणुजाणइ मणेण एको १ वायाए बितिओ २ कारण ततिओ ३ एस तइ मूलभेओ गओ । इदानि चउत्यो-न करेइ न कारवेइ मणेण वायाए कारणं एक्को १ न करेइ करेंतंपि नानुजाणइ बितीओ २ न कारवेइ करेंतं नानुजाणइ ३ तइओ एस चउत्थो मूलभेओ, इदानि पंचमो-न करेइ न कारवेइ मणेणं वायाए एस एक्को १ न करेइ करेंतं नानुजाणइ एस बितिओ २ न कारवेति नानुजाणइ एस तइओ ३ एए तिन्नि भंगा वायाए लद्धा, अन्नऽवि तिन्नि, मणेणं काएण य एमेव लब्भंति ३, तहाऽवरेवि वायाए काएण य लब्भंति तिन्नि तिनि ३, एवमेव एए सव्वे नव, एवं पञ्चमोऽप्युक्तो मूलभेद इति । इयाणि छट्टो-ण करेइ न कारवेइ मणेणं एस एक्को, तह य न करेइ करेंतं नानुजाणइ मणेणं एस बितिओ, न कारवेइ करें। नानुजाणइ मनसैव तृतीयः, एवं वायाए काएणवि तिन्नि भंगा लब्मंति, षष्ठोऽपि मूलभेदः, अधुना सप्तमोऽभिधीयते इति-ण करेइ मणेण वायाए काएण य एक्को, एवं न कारवेइ मणादीहिं एस बितिओ, करेंतं नानुजाणइत्ति तइओ, सप्तमोऽप्युक्तो मूलभेद इति । इदानीमष्टमः-न करेइ मणेणं वायाए एक्को तहा मणेण काएण य एस बितिओ, तहा वायाए कारण य एस तइओ, एवं न कारवेइ एत्थवि तिन्नि भंगा एवमेव लब्अंति, करेंतं नानुजाणइ एत्थ वि तिण्णि,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org