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उद्देशक : ७, मूलं-४७०, [भा. २२८७]
नमो नमो निम्मल सणस्त पंचम गणपर श्री सुधर्मास्वामिने नमः
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३४.२ निशीथ-छेदसूत्रम्
सटीकं प्रथमं छेद सूत्रम्] उद्देशका : ७.....१३ पर्यन्ताः मूलम् + (नियुक्तियुक्तेन) भाष्यम् + चूर्णिः
उद्देशक:-७ चू-छमुद्देसगे सत्तमुद्देसगो एवं संबज्झति- . [भा.२२८७] आहारमंतभूसा, मालियमादी उ बाहिरा भूसा।
विगती विगतिसहावा, व बाहिरं कुज संठपं ।। चू-छट्ठद्देसगस्स अंतिमसुत्ते विगतीआहारो पडिसिद्धो, मा तेन विगतिआहारेण य पीणियसरीरस्समंतरभूसा भविस्सति। सत्तमुद्देसगेविआइमसुत्तेमालिगपडिसेहो, मा बाहिरबूसा भविस्सति।अहवा-विगतीआहारातो संजमविगतसभावो बाहिरविभूसानिमित्तंतणमालियाति करेज्ज तप्पडिसेहणत्थं इमं सुत्तं
मू. (४७०) जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए तण-मालियं वा मुंज-मालियं वा वेत्तमालियं वा मयण-मालियं वा पिंछ-मालियं वा पोडिअ-दंत मालियं वा सिंग-मालियं वा पत्तमालियं वा युप्फ-मालियं वा फल-मालियं वा बीय-मालियं वा हरिय-मालियं वा करेइ, करेंतं वा सातिजति ।।
मू. (४७१) जेभिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए तण-मालियं वा भुंज-मालियं वा वेत्तमालियं वा मयण-मालियं वा पिंछ-मालियं वा पोडिअदंत-मालियं वा सिंग-मालियं वा संखमालियं वा हड्ड-मालियं वा भिंड-मालियं वा कट्ट-मालियं वा पत्त-मालियं वा पुष्फ-मालियं वा फल-मालियं वा बीय-मालियं वा हरिय-मालिय वा धरेइ धरेतं वा सातिजति ।।
मू. (१७२) जेभिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाएतण-मालियंवा भुज-मालियंवा वेत्तमालियं वा मयण-मालियं वा पिंछ-मालियं वा पोडिअदंत-मालियं वा सिंग-मालियं वा संख-मालियं वा हड्ड-मालियं वा भिंड-मालियं वा कट्ट-मालियं वा पत्त-मालियं वा पुष्फ-मालियं वा फल-मालियं वा बीय-मालियं वा हरिय-मालियं वा पिणड्डइ, पिणई, तं वा सातिजति ।।
चू-वारणातितणेहिं पंचवण्णमालियाओकीरंजहा महुराए। मुंजमालिया, जहा-विजातियाणं जडीकरणे । वेत्त-कट्टेसु कडगमादी कीरंति, कढे वा चुंदप्पडिया भवंति । मयणे मयणपुष्फा कीरंति, पंचवण्णा । भेंडेसु भेंडाकारा करेंति, मोरंगमयी वा । मक्कडहड्डेसु हड्डमयी डिंभाणं गलेसु
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