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________________ शतकं-२०, वर्ग:-, उद्देशकः-१० ३०७ गोयमा! जाव अव्वत्तगसंचियावि, एवं जावधणिय०, पुढविक्काइयाणं पुच्छा, गोयमा! पुढविकाइया नो कइसंचिया अकइसंचिया नो अब्वत्तगसं०, से केगडेणं एवंबुच्चइजाव नोअव्वत्तगसंचिया गोयमा! पुढविकाइया असंखेजएणंपवेसणएणं पविसंति से तेणडेणंजाब नो अब्बत्तगसंचया, एवंजाव वणस्स०, बेदिया जाव वैमाणि० जहा नेरइया। सिद्धाणं पुच्छा, गोयमा! सिद्धा कतिसंचिया नो अकतिसंचया अव्वत्तगसंचियावि, से केणढे० जाव अवत्तगसंचियावि ?, गो० ! जे णं सिद्धा संखेज्जएणं पवेसणएणं पविसंति तेणं सिद्धा कतिसंचिया जेणं सिद्धा एक्कएणं पवेसणएणं पविसंति तेणं सिद्धाअव्वत्तगसंचिया से तेणटेणं जाव अव्वत्तगसंचियावि।। एएसिणं भंते ! नेरइ० कतिसंचियाणं अकतिसंचियाणं अव्वत्तगसंचियाण य कयरे २ जाव विसेसा०?, गोयमा ! सव्वत्थोवा नेरइया अव्वत्तगसंचिया कतिसंचिया संखेजगुणा अकतिसंचिया असं० एवं एगिदियवञ्जाणं जाव वेमाणियाणं अप्पाबहुगं, एगिदियाणं नत्थि अप्पाबहुगं। एएसिणंभंते! सिद्धाणं कतिसंचियाणं अव्वत्तगसंचियाण यकयरे २ जाव विसेसाहिया वा?, गो०! सव्वत्तोवा सिद्धा कतिसंचिया अवत्तगसंचिया संखेजगुणा। नेरइयाणं भंते! किंछक्कसमजिया १ नोछक्कसमजिया २ छक्केण य नोछक्केण य समजिया ३ छक्केहि य समञ्जियां४ छक्केहि य नोछक्केण यसमजिया ५?, गोयमा! नेरइया छक्कसमज्जियावि १ नोछक्कसमज्जियावि २ छक्केण य नोछक्केण यसमजियावि३ छक्केहि य समजियावि ४ छक्केहि य नोछक्केण य समझियावि ५। - सेकेणद्वेणं भंते! एवं वुच्चइनेरइयाछक्कसमजियाविजाव छक्केहि यनोछक्केण यसमज्जियावि गोयमा! जेणं नेरइयाछक्कएणंपवेसणएणं पविसंति तेणंनेरइया छक्कसमजिया १ जेणं नेरइया जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा उक्कोसेणं पंचएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया नोछक्कसमजिया २ जे णं नेरइया एगेणं छक्कएणं एक्केण वा दोहिं वा तीहि वा उक्कोसेणं पंचएणंपवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया छक्केहि समज्जिया ४ जे णं नेरइया नेगेहिं छक्केहि अन्नेण जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वातीहि वा उक्कोसेणं पंचएणं पवेसणएणं पविसंति तेणं नेरइया छक्केहिं य नोछक्केण य समजिया ५ से तेणडेणं तं चैव जाव समज्जियावि, एवं जाव धणियकुमारा है पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा! पुढविकाइया नो छक्कसमज्जिया १ नो नोछक्कसमजिया २ नोछक्केण य समजिया ३ छक्केहि समजियावि४ छक्केहि य नोछक्केण य समजियावि५॥ सेकेणडेणं जाव समज्जियावि?, गोयमा! जेणं पुढविकाइया नेगेहि छक्कएहिं पवेसणगं पविसंति ते णं पुढविकाइया छक्केहि समज्जिया जे णं पुढविकाइया नेगेहिं छक्कएहि य अनेण य जहन्नेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा उक्कोसेणं पंचएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं पुढविक्काइया छक्केहि य नोछक्केण य समञ्जिया, से तेणटेणं जाव समज्जियावि, एवं जाव वणस्सइकाइयावि, बैंदिया जाव वेमाणिया, सिद्धा जहा नेरइया। एएसि णं भतेः ! नेरइयाणं छक्कसमज्जियाणं नोछक्कसमज्जियाणं छक्केण य नोछक्केण य समज्जियाणं छक्केहि य समजियाणंछक्केहि य नोछक्केण य समज्जियाणं कयरे २ जाव विसेसाहिया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003339
Book TitleAgam Sutra Satik 05 Bhagavati AngSutra 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages1096
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size23 MB
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