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________________ भगवतीअङ्गसूत्रं (२) १२/-/३/५३७ मू. (५३७) रायगिहे जाव एवं वयासी-कइणं भंते! पुढवीओ पन्नत्ताओ?, गोयमा! सत्त पुढवीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-पढमा दोघा जाव सत्तमा। पढमा णं भंते ! पुढवी किंनामा किंगोत्ता पन्नत्ता?, गोयमा ! धम्मा नामेणं रयणप्पभा गोत्तेणं एवंजहा जीवाभिगमे पढमोनेरइयउद्देसओ सोचेवनिरवसेसोभाणियब्वोजावअप्पाबहुगंति सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति। वृ. 'रायगिहे' इत्यादि, "किंनामा किंगोय'त्ति त्र नाम याच्छिकमभिधानं गोत्रं च-अन्वर्थिःकमिति एवं जहा जीवाभिगमे' इत्यादिना यत्सूचितं तदिदं-'दोच्चा णं भंते! पुढवी किंनामा किंगोया पन्नत्ता?, गोयमा ! वंसा नामेणं सक्क रप्पभा गोत्तेण'मित्यादीति। शतकं-१२ उद्देशकः-३ समाप्तः -शतक-१२ उद्देशकः-४:वृ.अनन्तरं पृथिव्य उक्तास्ताश्च पुद्गलात्मिका इतिपुद्गलांश्चिन्तयंश्चतुर्तोद्देशकमाह, तस्य चेमादिसूत्रम् मू. (५३८) रायगिहे जाव एवं वयासी-दो भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहन्नति एगयओ साहण्णित्ता किं भवति ?, गोयमा ! दुष्पएसिए खंधे भवइ, से भिजमाणे दुहा कजइ एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ परमाणुपोग्गले भवइ । तिन्नि भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहन्नति २ किं भवति?, गोयमा ! तिपएसिए खंधे भवति, से भिजमाणे दुहावितिहावि कञ्जइ, दुहाकञ्जमाणे एगयओपरमाणुपोग्गले एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ, तिहा कज्जमाणे तिन्नि परमाणुपोग्गला भवंति। . चत्तारि भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहन्नति जाव पुच्छा, गोयमा ! चउपएसिए खंधे भवइ, से भिजमाणे दुहावितिहाविचउहावि कञ्जइ, दुहा कञ्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओतिपएसिए खंधे भवइ, अहवा दो दुपएसिया खंधा भवति, तिहा कन्जमाणे एगयओदो परमाणुपोग्गलाएगयओ दुप्पएसिए खंधे भवइ, चउहा कञ्जमाणे चत्तारि परमाणुपोग्गला भवंति पंचभंते! परमाणुपोग्गलापुच्छा, गोयमा! पंचपएसिएखंधेभवइ, से भिजमाणे दुहावि तिहावि चउहावि पंचहावि कजइ, दुहा कञ्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ चउपएसिए खंधे भवइअहवा एगयओ दुपएसिएकंधे भवति एगयओतिपएसिएखंधे भवइ, तिहा कञ्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ तिप्पएसि एखंधे भवति अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति, चउहा कञ्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ दुप्पएसिए खंधे भवति, पंचहा कज्जमाणे पंच परमाणुपोग्गला भवंति।। छन्भंते ! परमाणुपोग्गला पुच्छा, गोयमा! छप्पएसिए खंधे भवइ, से भिजमाणे दुहावि तिहावि जाव छविहावि कजइ, दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ अहवाएगयओदुप्पएसिएखंधे एगयओ चउपएसिएखंधे भवइ अहवादोतिपएसिया खंधा भवइ, तिहा कञ्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ अहवा तिन्निदुपएसियाखंधा भवन्ति चउहा कजमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओतिपएसिए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003339
Book TitleAgam Sutra Satik 05 Bhagavati AngSutra 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages1096
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size23 MB
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