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शतकं-८, वर्गः-, उद्देशकः-२
३७१ भवस्थद्वारे-निरयभवत्था ण'मित्यादि, निरयभवे तिष्ठन्तीति निरयभवस्थाःप्राप्तोत्पत्तिस्थानाः, ते च यथा निरयगतिकास्त्रिज्ञाना द्वयज्ञानास्त्र्यज्ञानाश्चोक्तास्तथा वाच्या इति ।
भवसिद्धिकद्वारे-'जहासकाइयत्तिभवसिद्धिकाः केवलिनोऽपीतितेसकायिकद्भजनया पञ्चज्ञानाः तथा यावत्सम्यक्त्वं न प्रतिपन्नास्तावद्भजनयैव त्र्यज्ञानाश्च वाच्या इति । अभवसिद्धिकानांत्वज्ञानत्रयंभजनया स्यात्सदा मिथ्याष्टित्वात्तेषामत उक्तं 'नोनाणी अन्नाणी'त्यादीति
सज्ञिद्वारे-'जहा सइंदिय'त्तिज्ञानानि चत्वारि भजनया अज्ञानानि च त्रीनि तथैवेत्यर्थः 'असन्नीजहा बेइंदिय'त्ति अपर्याप्तकावस्थायांज्ञानद्वयमपिसासादनतया स्यात्, पर्याप्तकावस्थायां त्वज्ञानद्वयमेवेत्यर्थः । लब्धिद्वारे लब्धिभेदान् दर्शयन्नाह
मू. (३९३) कइविहाणं भंते! लद्धी पन्नत्ता?, गोयमा! दसविहा लद्धी पन्नत्ता, तंजहानाणलद्धी १ दंसणलद्धी २ चरित्तलद्धी ३ चरित्ताचरित्तलद्धी ४ दानलद्धी ५ लाभलद्धी ६ भोगलद्धी ७ उवभोगलद्धी ८ वीरियलद्धी ९ इंदियलद्धी १०॥
नाणलद्धी णं भंते ! कइविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा पन्नत्ता, तंजहाआभिनिबोहियनाणलद्धी जाव केवलनाणलद्धी।
अन्नाणलद्धी णं भंते ! कतिविहा पन्नता ?, गोयमा ! तिविहा पन्नत्ता, तंजहामइअन्नाणलद्धी सुयअन्नाणलद्धी विभंगनाणलद्धी।
दंसणलद्धीणं भंते! कतिविहा पन्नत्ता?, गोयमा! तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-सम्मइंसणलद्धी मिच्छादसणलद्धी सम्मामिच्छादसणलद्धी।
चरित्तलद्धी णं भंते ! कतिविहा पन्नत्ता?, गोयमा! पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा-सामाइयचरित्तलद्धी छेदोवट्टावनियलद्धी परिहारविसुद्धलद्धीसुहमसंपरागलद्धी अहक्खायचरित्तलद्धी चरित्ताचरित्तलद्धीणंभंते! कतिविहा पन्नत्ता?, गोयमा! एगागारापन्नत्ता, एवंजाव उवभोगलद्दी एगागारा पन्नत्ता।
वीरीयलद्धी णं भंते ! कतिविहा पन्नत्ता?, गोयमा ! तिविहा पन्नत्ता, तंजहा-बालवीरियलद्धी पंडियवीरियलद्धी बालपंडियवीरियलद्धी। इंदियलद्धीणं भंते! कतिविहा पन्नत्ता?, गोयमा ! पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा सोइंदियलद्धी जाव फासिंदियलद्धी।
नाणलद्धियाणंभंते! जीवा किनाणी अन्नाणी?, गोयमा! नाणी नो अन्नाणी, अत्यंगतिया दुन्नाणी, एवं पंच नाणाई भयणाए।तस्स अलद्धीयाणभंते! जीवा किं नाणी अन्नाणी?,गोयमा नो नाणी अन्नाणी, अत्थेगतिया अन्नाणी तिन्नि अन्नाणानिभयणाए।आभिनिबोहियनाणलद्धिया गंभंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी?, गोयमा ! नाणी नो अन्नाणी, अत्थेगतिया दुनाणी चत्तारि नाणाई भयणाए।
तस्स अलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी?, गोयमा! नाणीवि अन्नाणीवि, जे नाणी ते नियमा एगनाणी केवलनाणी, जे अन्नाणी ते अत्थेगइया दुअन्नाणी तिनि अन्नाणाई भयणाए । एवं सुयनाणलद्धीयावि, तस्स अलद्धीयावि जहा आभिनिबोहियनाणस्स लद्धीया ।
ओहिनाणलद्धीया णं पुच्छा, गोयमा! नाणी नो अन्नाणी, अत्थेगतिया तिन्नाणी अत्थेगतिया चउनाणी, जे तिन्नानि ते आभिनिबोहियनाणी सुयनाणी ओहिनाणी, जे चउनाणी ते
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