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आवश्यक मूलसूत्रम्-१-१/२
वायाए काएणं एस एक्को भेओ १।
चो०-न करेईच्चाइतिगं गिहिणो कह होइ देसविरअस्स ?। आ०-भन्नइ विसयस्स बहिं पडिसेहो अनुमईएवि ॥४॥ केई भणंति गिहिणो तिविहंतिविहेण नत्थि संवरणं ।
तं न जओ निद्दिढ़ पन्नत्तीए विसेसेउं ॥५॥ तो कह निजुत्तीएऽनुमइनिसेहोत्ति ? सो सविसयंमि । सामण्णेणं नस्थि उ तिविहं तिविहेण को दोसो ?॥६॥
पुत्ताईसंतइणिमित्तमिथमेक्कारसिं पवण्णस्स । जंपति केइ गिहिणो दिक्खाभिमुहस्स तिविहंपि ॥७॥
आह कहं पुण मनसा करणं कारावणं अनुमई य । जह वयतणुजोगेहिं करणाई तह भवे मनसा ॥८॥
तदहीनत्ता वइतणुकरणाईणं अहव मनकरणं । ___ सावजजोगमणणं पन्नत्तं वीयरागेहिं ॥९॥ कारवणं पुण मनसा चिंतेइ य करेउ एस सावजं ।
चिंतेई य कए पुण सट्ट कयं अनुमईं होइ॥१०॥ एस एक्को भेओ गओ ॥ इदानि बितिओ भेओ-न करेइ न कारवेइ करेंतंपि अन्नं न समणुजाणइ मणेण वायाए एस एक्को १, तहा मणेणं काएण य बितिओ २, तहा वायाए काएण य ततिओ ३, एस बितिओ भूलभेओ गओ ।। इयाणि तइओ-ण करेइ न कारवेइ करेंतंपि अन्नं न समणुजाणइ मणेण वायाए एस एक्को १, तहा मणेणं काएण य बितिओ २, तहा वायाए य ततिओ ३, एस बितिओ भूलभेओ गओ ॥ इदानिं तइओ-न करेइ न कारवेइ करेंतंपि अन्नं न समणुजाणइ मणेण एक्को १ वायाए बितिओ २ काएण ततिओ ३ एस तइ मूलभेओ गओ । इदानिं चउत्थो-न करेइ न कारवेइ मणेण वायाए कारणं एक्को १ न करेइ करेंतंपि नानुजाणइ बितीओ २ न कारवेइ करेंतं नानुजाणइ ३ तइओ एस चउत्थो मूलभेओ, इदानं पंचमो-न करेइ न कारवेइ मणेणं वायाए एस एक्को १ न करेइ करेंतं नानुजाणइ एस बितिओ २ न कारवेति नानुजाणइ एस तइओ ३ एए तिन्नि भंगा वायाए लद्धा, अन्नऽवि तिनि, मणेणं काएण य एमेव लब्भंति ३, तहाऽवरेवि वायाए काएण य लब्भंति तिन्नि तिन्नि ३, एवमेव एए सव्वे नव, एवं पञ्चमोऽप्युक्तो मूलभेद इति । इयाणिं छट्ठो-ण करेइ न कारवेइ मणेणं एस एक्को, तह य न करेइ करेंतं नानुजाणइ मणेणं एस बितिओ, न कारवेइ करें। नानुजाणइ मनसैव तृतीयः, एवं वायाए काएणवि तिन्नि भंगा लब्मंति, षष्ठोऽपि मूलभेदः, अधुना सप्तमोऽभिधीयते इति-ण करेइ मणेण वायाए काएण य एक्को, एवं न कारवेइ मणादीहिं एस बितिओ, करेंतं नानुजाणइत्ति तइओ, सप्तमोऽप्युक्तो मूलभेद इति । इदानीमष्टमः-न करेइ मणेणं वायाए एक्को तहा मणेण काएण य एस बितिओ, तहा वायाए काएण य एस तइओ, एवं न कारवेइ एत्थवि तिन्नि भंगा एवमेव लब्भंति, करेंतं नानुजाणइ एत्थ वि तिण्णि,
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