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________________ ३९४ आवश्यक मूलसूत्रम्-१-१/१ भणइ-किंचि जाणसि, ?, भणइ-नत्थि, पुणोऽवि जवइ, ततियवारा, पुणोऽवि पुच्छिओ, पुणो नवकारं करेइ, ताहे वाणमंतरेण रुसिएण तं खग्गं गहाय सो तिदंडी दो खंडीकओ, सवन्नकोडी जाओ, अंगोवंगाणि य से जुत्तजुत्ताणि काउं सव्वरत्ति वुढं ईसरो जाओ नमोक्कारफलेणं, जइ न होंतो नमोक्कारो तो वेयालेण मारिजंतो, सो सुवन होतो ॥कामनिप्फत्ती, कहं ?, एगा साविगा तीसे भत्ता मिच्छादिट्ठी अन्नं भज्जं आनेउं मग्गइ, तीसे तणएण न लहइ से सवत्तगति, चिंतेइ-किह मारेमि?, अन्नया कण्हसप्पो घडए छुभित्ता आणीओ, संगोविओ, जिमिओ भणइ-आणेहि पुप्फाणि अमुगे घडए ठवियाणि, सा पविट्ठा, अंधकारंति नमोक्कारं करेइ, जइवि मे कोइ खाएज्जा तोवि मे मरंतीए नमोकारो न नस्सहिति, हत्थो छूढो, सप्पो देवयाए अवहिओ, पुप्फमाला कया, सा गहिया, दिन्ना य से, सो संभंतो चिंतेइ-अन्नाणि, कहियं, गओ पेच्छइ घडगं पुष्फगंधं च, नवि इत्य कोइ सप्पो, आउट्टो पायपडिओ सव्वं कहेइ खामेइ य, पच्छा सा चेव घरसामिणी जाया, एवं कामावहो । ___ आरोग्गाभिरई-एगं नगरं, नईए तडे खरकम्मिएणं सरीरचिंताए निग्गएणं नईए वुझंतं माउलिंगं दिटुं, रायाए उवनीयं, सूयस्स हत्थे दिन्नं, जिमियस्स उवनीयं, पमाणण अइरित्तं वन्नेण गंधेणं अइरित्तं, तस्स मनुसस्स तुट्ठो, भोगो दिन्नो, राया भणइ-अनुनईए मग्गह, जाव लद्धं, पत्थयणं गहाय पुरिसा गया, दिट्ठो वणसंडो, जो गेण्हइ फलाणि सो मरइ, रन्नो कहियं, भणइ-अवस्सं आनेयव्वाणि, अक्खपडिया वच्चंतु, एवं गया आणेन्ति, एगो पविट्ठो सो बाहिं उच्छुब्भइ, अन्ने आणंति, सो मरइ, एवं काले वच्चंते सावगस्स परिवाडी जाया, गओ तत्थ, चिंतेइ-मा विराहियसामन्नो कोइ होजत्ति निसीहिया नमोक्कारं च करेंतो दुक्कइ, वाणमंतरस्स चिंता, संबुद्धो, वंदइ,भणइ-अहं तत्थेव साहरामि, गओ, रन्नो कहियं, संपूइओ, तस्स ओसीसे दिने दिने ठवेइ, एवं तेन अभिरईं भोगा य लद्धा, जीवयाओ य, किं अन्नं आरोग्गं?, रायावि तुट्ठो॥ परलोए नमोक्कारफलं-वसंतपुरे नयरे जियसत्तू राया, तस्स गणिया साविया सा चंडपिंगलेण चोरेण समं वसइ । अन्नया कयाइ तेन रन्नो घरं हयं, हारो नीनिओ, भीएहिं संगोविजइ । अन्नया उज्जाणियागमणं, सव्वाओ विभूसियाओ गणियाओ वचंति, तीए सव्वाओ अइसयमित्ति सो हारो आविद्धो, जीसे देवीए सो हारो तीसे दासीए सो नाओ, कहियं रन्नो, सा केण समं वसइ ?, कहिए चंडपिंगलो गहिओ, सूले भिन्नो, तीए चिंतियं-मम दोसेण मारिओत्ति सा से नमोक्कारं देइ, भणइ य-नीयाणं करेहि जहा-एयस्स रन्नो पुत्तो आयामित्ति, कयं, अग्गमहिसीए उदरे उववन्नो, दारओ जाओ, सा साविया कीलावणधावीया जाया । अन्नया चिंतेइ-कालो समो गडभस्स य मरणस्स य, होज्ज कयाइ, रमाती भणइ-मा रोव चंडपिंगलत्ति, संबुद्धो, राया मओ, सो राया जाओ, सुचिरेण कालेण दोवि पव्वइयाणि, एवं सुकुलपच्चायाई तम्मूलागं च सिद्धिगमणं ॥ ___ अहवा वितियं उदाहरणं-महुराए नयरीए जिनदत्तो सावओ, तत्थ हुंडिओ चोरो, नयरं मुसइ, सो कयाइ गहिओ सूले भिन्नो, पडिचरह बितिज्जयावि से नजिहिंति, मनूसा पडिचरंति, सो सावओ तस्स नाइदूरेण वीईवयइ, सो भणइ-सावय ! तुमंसि अनुकंपओ तिसाइओऽहं, www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.003328
Book TitleAgam Suttani Satikam Part 24 Aavashyaka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages452
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aavashyak
File Size24 MB
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