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________________ अध्ययनं-१ - [नि.९५१] ३७३ पञ्चभिन्नाओ, भिक्खाए समं सुवण्णं दिन्नं, कूवियं, गहिओ, रायाए मूलं नीओ, धावीए .णाओ, ताणि निव्विसयाणि आणत्ताणि, पिया भोगेहिं निमंतिओ, नेच्छइ, राया सड्डो कओ, वरिसारत्ते पुण्णे वयंतस्स अकिरियाणिमित्तं धिज्जाइएहिं दुवक्खरियाए उवट्ठविओ, परिभट्ठियारूवं कयं, सा गुठ्विणीया अनुव्वयइ, तीए गहिओ, मा पवयणस्स उड्डाहो होउत्ति भणइ-जइ मए तो जोणीए नीउ अह न मए ता पोट्टं भिंदित्ता णीउ, एवं भणिए भिन्नं पोट्ट, मया, वनो य जाओ, सेहिस्स पारिणामिगी इयं, जीए वा पव्वइओत्ति ।। कुमारी-खुड्डगकुमारो, सो जहा जोगसंगहेहिं, तस्सवि परिणामिगी । देवी-पुष्फभद्दे णयरे पुष्फसेणो राया पुष्फवई देवी, तीसे दो पुत्तभंडाणि-पुप्फचूलो पुष्पचूला य, ताणि अणुरत्ताणि भोगे भुंजंति, देवी पब्बइया, देवलोगे देवो उववन्नो, सो चिंतेइ-जइ एयाणि एवं मरंति तो नरयतिरिएसु उववज्जिहिंति सुविणए सो तीसे नेरइए दरिसेइ, सा भीया पुच्छइ पासंडिणो, ते न याणंति, अनियपुत्ता तत्थ आयरिया, ते सद्दाविया, ताहे सुत्तं कटुंति, सा भणइ-किं तुम्हेहिवि सुविणओ दिट्ठो ?, सो भणइ-सुत्ते अम्ह एरिसं दिटुं, पुणोऽवि देवलोए दरिसेइ, तेऽवि से अन्नियापुत्तेहिं कहिया, पव्वइया, देवस्स पारिणामिया बुद्धी॥ उदिओदए-पुरमयाले नयरे ओदिओदओ राया सिरिकंता देवी, सावगाणि दोन्निवि, परिवाइया पराजिया दासीहिं मुहमक्कडियाहिं वेलविया निछूढा, पओसमावण्णा, वाणारसीए धम्मरुई राया, तत्थ गया, फलयपट्टियाए सिरिकताए रूवं लिहिऊण दाएइ धम्मरुइस्स रन्नो, सो अज्झोववन्नो, दूयं विसज्जेइ, पडिहओ अवमाणिओ निच्छूढो, ताहे सव्वबलेणागओ, नयरं रोहेइ, उदिओदओ चिंतेइ-किं एवड्डेण जनक्खएण कएण?, उववासं करेइ, वेसमणेण देवेन सणयरं साहरिओ । उदिओदयस्स पारिणामिया बुद्धी ॥ साहू य नंदिसेणोत्ति, सेणियपुत्तो नंदिसेणो, सीस्सो तस्स ओहाणुप्पेही, तस्स चिंता (जाया)-भगवं जइ रायगिहं जाएज तो देवीओ अन्ने य पिच्छिऊण साइसए जइ थिरो होजतिा, भट्टारओ य गओ, सेणीओ उण नीति संतेपुरो, अन्ने य कुमारा सअंतेउरा, नंदिसेनस्स अंतेउरं सेतंबरवसणं पउमिणिमज्झे हंसीओ वा मुक्काभरणाओ सव्वासिं छायं हरति, सो ताओ दह्ण चिंतेइ-जइ भट्टारएण मम आयरिएण एरिसियाओ मुक्काओ किमंग पुण मज्झ मंदपुनस्स असंताण परिच्चइयं? तब्बियाणइ, निव्वेयमावण्णो आलोइयपडिम्तो थिरो जाओ । दोण्हवि परिणामिगी बुद्धी ।। __ धनदत्तो सुसुमाए पिया परिणामेइ-जइ एयं न खामो तो अंतरा मरामोत्ति, तस्स पारिणामिगी बुद्धी ।। सावओ मुच्छिओ अज्झोववण्णो सावियाए वयंसियाए, तीसे परिणामो-मा परिहित्ति अट्टवसट्टो नरएसु तिरिएसु वा (मा) उववजिहित्ति तीसे आभरणेहिं विनीओ, संवेगो, कहणं च, तीए पारिणामिया बुद्धी ॥ अमच्चो-वरधनुपिया जउघरे कए चिंतेइ-मा मारिओ होइ एस कुमारो, कहिंपी रक्खिज्जइ, सुरंगाए नीणिओ, पलाओ, एयस्सवि पारिणामिया बुद्धी । अन्ने भणंति-एगो राया देवी से अइप्पिया कालगया, सो य मुद्धो, सो तीए वियोगदुक्खिओ न सरीरठियं करेइ, मंतीहिं भणिओ-देव ! एरिसी संसारटिइत्ति किं कीरइ ?, सो भणइ-नाहं देवीए सरीरट्टिइं अकरेंतीए करेमि, मंतीहि परिचिंतियं-न अन्नो उवाओत्ति, पच्छा भणियंदेव ! देवी सग्गं गया तं तत्थट्टिइयाए चेव से सव्वं पेसिज्जउ, लद्धकयदेवीट्टिईपउत्तीए पच्छा For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003328
Book TitleAgam Suttani Satikam Part 24 Aavashyaka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages452
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aavashyak
File Size24 MB
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