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वर्तमान अणे ४५॥भभi Gyavi भाष्यं
क्रम
भाष्य
انه سه
निशीषभाष्य बृहत्कल्पभाष्य व्यवहारभाष्य पञ्चकल्पभाष्य जीतकल्पभाष्य
श्लोकप्रमाण| क्रम
भाष्य
गाथाप्रमाण ७५०० आवश्यकभाष्य *
४८३ ७६००
ओघनियुक्तिभाष्य * ३२२ ६४००
पिण्डनियुक्तिभाष्य * ४६ ३१८५
दशवैकालिकभाष्य * | ३१२५ १०. | उत्तराध्ययनभाष्य (?)
८.
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नोंध:(१) निशीष , बृहत्कल्प भने व्यवहारभाष्य न त सङ्घदासगणि डोपानुं ४॥य छे.
समा॥ संपानमा निशीष भाष्य तेनी चूर्णि साथे भने बृहत्कल्प तथा व्यवहार
भाष्य तेनी-तनी वृत्ति साथे समाविष्ट थथु छ. (२) पञ्चकल्पभाष्य अभा२. आगमसुत्ताणि भाग-३८ भi std . (3) आवश्यकभाष्य भi Dul प्रभा४८3 सभ्यु मा १८3 000 मूळभाष्य ३५ छ
भने 300 000 अन्य भाष्यनी छ.४नो समावेश आवश्यक सूत्र-सटीकं भां यो छ. [ विशेषावश्यक भाष्य पूज४ प्रसिध्ध थयु छ ५९ ते समय आवश्यकसूत्र- 6५२नु भाष्य नथी भने अध्य यनो अनुसार नी समग वृत्ति આદિ પેટા વિવરણો તો સાવરક અને ગીત એ બંને ઉપર મળે છે. જેનો
અત્રે ઉલ્લેખ અમે કરેલ નથી.] (४) ओघनियुक्ति, पिण्डनियुक्ति , दशवैकालिकभाष्य नो समावेश तेन तेनी वृत्ति भां
थयो ४ छे. ५ तेनो त विशेनो 64 भाने मणे नथी. [ओघनियुक्ति
6५२ 3000 RT प्रभारी भाष्यनो से सवा मणे छ.] (५) उत्तराध्ययनभाष्यनी या नियुक्तिमा मणी गयानुं संभणाय छ (?) (s) l शत अंग - उपांग - प्रकीर्णक - चूलिका मे ३५ आगम सूत्रो ७५२नो 5
માગનો ઉલ્લેખ અમારી જાણમાં આવેલ નથી. કોઈક સ્થાને સાક્ષી પાઠ-આદિ
१३५ भाष्यगाथा व मणे छे. (७) भाष्यकर्ता तरी भुण्य नाम सङ्घदासगणि वा भणेल छे. तेम४ जिनभद्रगणि
क्षमाश्रमण भने सिद्धसेन गणि नो ५९२५ भणे छे. 32&is भाष्यन। उता અજ્ઞાત જ છે.
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