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________________ प्रज्ञापनाउपाङ्गसूत्रम्-२-१७/२/-/४५४ नीललेश्याभावात्, तेभ्योऽप्यसङ्खयेयगुणाः कापोतलेश्याः, प्रथमद्वितीयपृथिव्योस्तृतीयपृथिवी गतेषुच कतिपयेषुनरकावासेषुनारकाणमनन्तरोक्तेभ्योऽसङ्खयेयगुणानांकापोतलेश्यासद्भावात मू.(४५५) एतेसिणं भंते! तिरिक्खजोणियाणं कण्हलेस्साणंजाव सुक्कलेसाण य कयरे २?, अप्पा वा ४ गो० ! सव्व०तिरिक्खजोणिया सुक्कलेसा एवं जहा ओहिया नवरं अलेस वजा, एएसिं एगिदियाणं कण्ह० नील० काउ० तेउलेस्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ४?, गो० ! सव्वत्थोवा एगिदिया तेउलेस्सा, काउ० अनं० नीलले० विसेसा कण्हलेसा० एएसिणंभंते ! पुढविकाइयाणं कण्हलेसाणंजावतेउलेस्साण यकयरे कयरेहितो अप्पा वा ४?, गो० ! जहा ओहिया एगिंदिया नवरं कउलेस्सा असंखेजगुणा, एवं आउकाइयाणवि, एतेसिणंभंते! तेउकाइयाणं कण्हलेस्साणं नीललेस्साणं काउलेस्साण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ४?, गो० ! सव्वत्थोवा तेउकाइया काउलेस्सा नीललेस्सा विसेसाहिया कण्हलेस्सा विसेसाहिया, एवं वाउकाइयाणवि, एतेसि णं भंते ! वणस्सइकाइयाणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य जहा एगिदिय० ओहियाणं, बेइंदियाणं तेइंदियाणं चउरिदियाणं जहा तेउकाइयाणं, एएसिणंभंते ! पंचेदियतिरिक्खजोणियाणं कण्हलेसाणं एवं जाव सुक्कलेसाण य कयरे कयरेहितोअप्पावा४?, गो०! जहाओहियाणंतिरिक्खजोणियाणंनवरंकाउलेस्साअसंखेजगुणा, संमुच्छिमपंचेदियतिरिक्खजोणियाणंजहा तेउकाइयाणं, गब्भवककतियपंचेदियतिरिक्खजोणियाणंजहा ओहियाणंतिरिक्खजोणियाणं नवरंकाउलेस्सा संखेजगुणा, एवं तिरिक्खजोणियाणवि, एएसिणंभंते! संमुच्छिमपंचेदियतिरिक्खजोणियाणंगब्भवतियपंचेदियतिरिक्खजोणियाण य कण्ह० जाव सुक्कलेसाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ४?, गो० ! सव्वत्थोवा गब्भवक्कंतियपंचेदियतिरि० सुक्क० पम्ह० संखेजगुणातेउले० संखे० काउ० संखे० नीललेस्सा विसेसा० कण्हलेसा विसेसा० काउलेसा संमुच्छिमपंचेदियतिरिक्खजोणियाअसंखेज० नीललेसा विसेसा० कण्हलेसा विसेसा०, एएसिणं भंते ! संमुच्छिमपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीण य कण्हले० जाव सुक्कलेसाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ४?, गो०! जहेव पंचमंतहा इमंछटुंभाणियब्वं, एएसिणंभंते! गब्भवतियपंचंदियतिरिक्खजोणियाणंतिरिक्खजोणिणीणय कण्हलेसाणं जाव सुक्कलेसाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ४ ?, गो० ! सव्वत्थोवा गब्भवतियपंचेंदियतिरिक्खजोणियाण सुक्कलेसा सुक्कलेसाओतिरिक्खजोणिणीओ संखेजगुणाओ पम्हलेसा गब्भवतियपंचेदियतिरिक्खजोणिया संखे० पम्हलेसाओ तिरिक्खजोणिणीओ संखेज० तेउले० तिरिक्खजोणिया संखे० तेउलेसा तिरिक्खजोणिणीओ सं० काउले-० सं० नीलले० विसेसा० कण्हले० विसेसा० काउलेसाओसं० नीललेसाओविसेसाहियाओकण्हलेसाओ विसेसाहियाओ, एएसिणंभंते संमुच्छिमपंचेतिरिक्खजोणि० गब्भवक्कंतियपंचेतिरिक्खजोणिणीण य कण्हलेसाणं जाव सुक्कलेस्साण य कयेर कयरेहितो अप्पा वा ४ ?, गो० ! सव्वत्थोवा गब्भ० तिरिक्खजोणिया सुक्कलेसासुक्कलेसाओ संखेनगुणाओ पम्हलेसा गब्भव० संखेज- पम्हलेसाओ तिरिक्खज० संखेनगुणाओ तेउलेसा गब्भव० तिरिक्ख० संखेजगु० तेउलेसाओ तिरि० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003315
Book TitleAgam Suttani Satikam Part 11 Pragnapana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages342
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size19 MB
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