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________________ शतकं -२०, वर्ग:-, उद्देशकः-५ २९५ पूर्वोक्तानांपञ्चचत्वारिंशदशीत्यशीतिषडुत्तरविंशतिसङ्ख्यानां भङ्गकानां मीलनाद्दे शते एकत्रिंशदुत्तरे भवत इति । 'नवपएसियस्से' त्यादि, इह पञ्चवर्णत्वे द्वात्रिंशतो भङ्गकानामन्त्य एव न भवति शेषं तु पूर्वोक्तानुसारेण भावनीयमिति ॥ मू. (७८७) बायरपरिणए णं भंते! अनंतपएसिए खंधे कतिवन्ने एवं जहा अट्ठारसमसए जाव सय अट्ठफासे पन्नत्ते वन्नगंधरसा जहा दसपएसियस्स । जइ चउफासे सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे १ सव्वे कक्खडे सव्वे गरु सव्वे. सीए सव्वे लुक्खे २ सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे ३ सव्वे कक्खडे सव्वे गरिए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे ४ सव्वे लक्खडे सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे .५ । सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे ६ सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे ७ सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे ८ सव्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे ९ सव्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे १० । सव्वे मउ सव्वे गरु सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे ११ सव्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे १२ सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे १३ सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे १४ सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे १५ सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे १६ एए सोलस भंगा । जइ पंचफासे सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे १ सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सब्वे सीए देसे निद्धे देसा लुक्खा २ सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसा निद्धा देसे लक्खे ३ सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसा निद्धा देसा लुक्खा ४ सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४ सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे सीए देसे निद्धे देखें लक्खे ४ सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सब्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे। एवं एए कक्खडेणं सोलस भंगा । सव्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे ४ एवं मउएणवि सोलस भंगा एवं बत्तीसं भंगा । सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे ४ सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे ४ एए बत्तीसं भंगा, सव्वे कक्खडे सव्वे सीए सव्वे निद्धे देसे गए देसे लहुए एत्थवि बत्तीसं भंगा ४, सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए एत्थवि बत्तीसं भंगा, एवं सव्वे ते पंचफास अट्ठावीसं भंगसयं भवंति । जइ छफासे सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे १ सव्वे कक्खडे सव्वे गरु देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्दे देसा लुक्खा २ एवं जाव सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा १ ६ एए सोलस भंगा । सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एत्थवि सोलस भंगा, सव्वे मउए सव्वे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एत्थवि सोलस भंगा, एए चउसट्ठि भंगा, सव्वे कक्खडे सव्वे निद्धे देसे गरुए देसे लहुए देसे निद्धे देसे लुक्खे एत्थवि चउसट्ठि भंगा, सव्वे कक्खडे सव्वे निद्धे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे १ जाव सव्वे मउए सव्वे लुक्खे देसा गरुया देसा लहुया देसा सीया देसा उसिणा १६ एए चउसट्टिं भंगा । सव्वे गरुए सव्वे सीए देसे कक्खडे देसे मउए देसे निद्धे देसे लुक्खे एवं जाव सव्वे लहुए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003310
Book TitleAgam Suttani Satikam Part 06 Bhagvati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages532
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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