________________
२३६
भगवतीअङ्गसूत्रं (२) १७/-/७/७१०
रयणप्पभाए पुढवी पुढवीकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते! कि पुव्वि सेसं तं चैव जहा रयणप्पभापुढविकाइए सव्वकप्पेसु जाव ईसिप भाराए ताव उववाइओ एवं सोहम्मपुढविकाइओवि सत्तसुवि पुढवीसु उववाएयव्वो जाव अहेसत्तमाए ।
एवं जहा सोहम्पुढविकाइओ सव्वपुढवीसु उववाइओ एवं जाव ईसिपब्भारापुढविकाइ सव्वपुढवीसु उववाएयव्वो जाव अहेस्सतमाए, सेवं भंते ! २ ॥
-: शतकं - १७ उद्देशकः-८ :
मू. (७११) आउक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए समोह० २ जे भविए सोहम्मे कप्पे आउकाइयत्ताए उववज्जित्तए ।
एवं जहा पुढविकाइओ तहा आउकाइओवि सव्वकप्पेसु जाव ईसिपव्भाराए तहेव उववाएयव्वो एवं जहा रयणप्पभाआउकाइओ उववाइओ तहा जाव अहेसत्तमापुढविआ - उकाइओ उववाएयव्वो जाव ईसिपब्भाराए, सेवं भंते ! २ ॥
-: शतकं - १७ उद्देशकः-९:
मू. (७१२) आउकाइए णं भंते! सोहम्मे कप्पे समोहए समोह० जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घनोदधिवलएसु आउकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते! सेसं तं चैव एवं जाव अहेसत्तमाए जहा सोहम्मआउक्कांइओ एवं जाव ईसिपब्भाराआउक्काइओ जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो, सेवं भंते ! २ ॥
-: शतकं - १७ उद्देशकः - १० : -
मू. (७१३) वाउक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए जाव जे भविए सोहम्मे कम्मे वाउक्वाइयत्ताए उवज्जित्तए से णं जहा पुढविकाइओ तहा वाउकाइओवि नवरं चाउक्काइयाणं चत्तारि समुग्धाया पं०, तं० - वेदणासमुग्धाए जाव वेउव्वियसमुग्ध्धए, मारणं तियसमुग्धाएणं समोहणमाणे देसेण वा समो० सेसं तं चैव जाव अहेसत्तमाएं समोहओ इसीपब्भाराए उववाएयव्वो, सेवं भंते ! ॥
-: शतकं - १७ उद्देशकः - ११ :
मू. (७१४) वाउक्काइए णं भंते! सोहम्मे कप्पे समोहए स० २ जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घनवाए तनुवाए घनवायवलएसु तनुवायवलएसु वाउक्वाइयत्तए उववज्जेत्तए से णं भंते सेसं तं चैव एवं जहा सोहम्मे वाउकाइओ सत्तसुवि पुढवीसु उववाइओ एवं जाव ईसिपब्भाराए वाउक्काइओ अहेसत्तमाए जाव उववाएयव्वो, सेवं भंते ! २ ॥
-: शतकं - १७ उद्देशकः-१२ः
मू. (७१५) एगिंदियाणं भंते ! सव्वे समाहरा सव्वे समसरीरा एवं जहा पढमसए बितियउद्देसए पुढविकाइयाणं वत्तव्वया भणिया सा चेव एगिंदियाणं इह भाणियव्वा जाव समाउया समोववन्नगा । एगिंदिया णं भंते! कति लेस्साओ प० ?, गोयमा ! चत्तारि लेस्साओ पं०, तं - कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा ।
एएसि णं भंते! एगिंदियाणं कण्हलेस्साणं जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा एगिंदियाणं तेउलेस्सा काउलेस्सा अनंतगुणा नीललेस्सा विसेसाहिया कण्हलेसा विसेसाहिया । एएसि णं भंते! एगिंदिया णं कण्हलेस्सा इड्डी जहेव दीवकुमाराणं, सेवं भंते ! २ ॥
For Private & Personal Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org