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________________ ५४० भगवतीअङ्गसूत्रं १०/-/५/४८९ उत्तरिल्लाणं इंदाणं जहा भूयानंदस्स, लोगपालाणवि तेसिं जहा भूयानंदस्स लोगपालाणं, नवरं इंदाणं सव्वेसिं रायहाणीओ सीहासणाणि य सरिसणामगाणि परियरो जहा तइयसए पढमे उद्देसए, लोगपालांसव्वेसिं रायहाणीओसीहासणाणिय सरिसनामगाणि परियारोजहा चमरस्स लोगापालाणंकालस्स। कालस्सणंभंते! पिसायिंदस्सपिसायरन्नो कति अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ अजो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-कमला कमलप्पभा उप्पला सुदंसणा, तत्थ णंएगमेगाए देवीए एगमेगंदेवीसहस्संसेसंजहा चमरलोगपालाणं, परियारोतहेव, नवरंकालाए रायहाणीए कालंसि सीहासणंसि, सेसंतंचेव, एवं महाकालस्सवि। सुरुवस्स णं भंते ! भूइंदस्स रन्नो पुच्छा, अञ्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-रूववती बहुरूवा सुरूवा सुभगा, तत्थणंएगमेगाए सेसंजहा कालस्स, एवं पडिरूवस्सवि पुनभद्दस्सणं भंते ! जक्खिदस्स पुच्छा अजो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहापुन्ना बहुपुत्तिया उत्तमा तारया, तत्थ णं एगमेगाए सेसं जहा कालस्स, एवं पडिरूवस्सवि । पुन्नभद्दस्स णंभंते ! जखिंदस्स पुच्छा अजो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा पुन्ना बहुपुत्तिया उत्तमा तारया, तत्थ णं एगमेगाए सेसंजहा कालस्स, एवं माणिभद्दस्सवि। भीमस्सणंभंते! रक्खसिंदस्स पुच्छा, अजो! चत्तारि अग्गमहिसीओपन्नत्ताओ, तंजहापउणा पउमावती कणगा रयणप्पभा, तत्थ णं एगमेगा सेसंजहा कालस्स । एवं महाभीमस्सवि किन्नरस्स णं भंते ! पुच्छा अञ्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-वडेंसा केतुमती रतिसेणा रइप्पिया, तत्थ णं सेसंतं चेव, एवं किंपुरिसस्सवि। सप्पुरिसस्सणंपुच्छा अजो! चत्तारिअग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-रोहिणी नवमिया हिरी पुष्पवती, तत्थ णं एगमेगा०, सेसंतं चेव, एवं महापुरिसस्सवि । अतिकायस्स णं पुच्छा, अजो! चत्तारि अग्गमहिसी पन्नत्ता, तंजहा-भुयंगा भुयंगवती महाकच्छा फुडा, तत्थ णं०, सेसं तं चेव, एवं महाकायस्सवि । गीयरइस्स णं भंते ! पुच्छा, अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसी पन्नत्ता, तंजहा-सुधोसा विमला सुस्सरा सरस्सई, तत्थ णं०, सेसंतं चेव, एवं गीयजसस्सवि, सव्वेसिं एएसिंजहा कालस्स, नवरं सरिसनामिया ओरायहाणीओ सीहासणाणि य, सेसंतंचेव। चंदस्स णं भंते ! जोइसिंदस्स जोइसरन्नो पुच्छा, अजो चत्तारि अग्गमहिसी पन्नत्ता, तंजहा-चंदप्पभा दोसिणाभाअच्चिमाली पभंकरा, एवं जहाजीवाभिगमेजोइसियउद्देसए तहेव, सूरस्सवि सूरप्पभा आयवाभा अचिमाली पभंकरा, सेसंतं चेव, जहा नो चेवणं मेहुणवत्तियं इंगालस्सणं भंते ! महग्गहस्स कति अग्ग० पुच्छा, अजो! चत्तारि अग्गमहिसी पन्नत्ता, तंजहा-विजया वेजयंती जयंती अपराजिया, तत्थ णं एगमेगाए देवीए सेसंतंचेवजहा चंदस्स, नवरंइंगालवडेंसएविमाणे इंगालगंसिसीहासणंसिसेसंतंचेव, वियालगस्सवि, एवंअट्टासीतीएवि महागणाणंभाणियब्बंजावभावकेउस्स, नवरंवडेंसगा सीहासणाणियसरिसनामगाणि, सेसंतंचेव। सक्कस्सणंभंते! देविंदस्स देवरन्नो पुच्छा, अजो! अट्ठ अग्गमहिसी पन्नत्ता, तंजहा-पउमा सिवा सेया अंजु अमला अच्छरा नवमिया रोहिणी, तत्थ णं एगमेगाए देवीए सोलस सोलस देविसहस्सा परिवारो पन्नत्तो, पभू णं ताओ एगमेगा देवी अन्नाइं सोलस देविसहस्सपरियारं विउव्वित्तए, एवामेवसपुव्वावरेणंअट्ठावीसुत्तरं देविसयसहस्सं परिवारं विउवित्तए, सेत्तंतुडिए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003309
Book TitleAgam Suttani Satikam Part 05 Bhagvati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages564
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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