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________________ ४७२ भगवतीअगसूत्रं९/-/३२/४५३ अहवाएगे पंकप्पभाए एगे घूमप्पभाएएगेतमाए होज्जा ३२ अहवाएगे पंकप्पभाए एगे घूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ३३ अहवा एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ३४ अहवा एगे घूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ३५। चत्तारि भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होला ? पुच्छा, गंगेया! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा ७, अहवा एगे रयणप्पभाए तिन्नि सक्करप्पभाए होजा अहवा एगे रयणप्पभाए तिनि वालुयप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए तिन्नि अहेसत्तमाए होज्जा ६ अहवा दो रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए होजा एवंजाव अहवा दो रयणप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा १२, अहवा तिन्नि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होजा, एवंजाव अहवा तिन्निरयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा १८, अहवा एगे सक्करप्पभाए तिनि वालुयप्पभाए होजा, एवं जहेव रयणप्पभाए उवरिमाहिं समंचारियंतहा सक्करप्पभाएवि उवरिमाहिं समं चारेयव्वं ५, एवं एक्केकाए समंचारियव्वंजावअहवातिनितमाएएगेअहेसत्तमाए होजा १२-६-३-(६३)। अहवाएगे रयणप्पभाएएगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होजा अहवाएगे रयणप्पभाए एगे सक्कर० दो पंक० होज्जा एवं जाव एगे रयणप्पभाए एगे सक्क० दो अहेसत्तमाए होज्जा ५ अहवा एगे रयण० दो सक्कर० एगे वालुयप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा एगे रयण० दो सक्कर० एगे अहेसत्तमाए होज्जा १० अहवा दो रयण० एगे सक्कर० एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा दो रयण० एगे सक्कर० एगे अहेसत्तमाए होज्जा १५ अहवा एगे रयण० एगे वालुय० दो पंकप्पभाए होज्जा एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुय० दो अहेसत्तमाए होजा ४ एवं एएणं गमएणं जहा तिण्हं तियजोगो तहा भाणियव्वोजाव अहवा दो घूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा १०५। ___ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा १ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्कर० एगे वालुय० एगे घूमप्पभाए होजा २ अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० एगे वालुय० एगे तमाए होज्जा ३ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ४ अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० एगेपंक० एगे घूमप्पभाए ५ अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० एगे पंकप्पभा० एगे तमाए होजा ६ अहवा एगे रयणः एगे सक्कर० एगे पंक० एगे अहेसत्तमाए होजा ७ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्कर० एगे घूम० एगे तमाए होज्जा ८ अहवा एगे रयण० एगे सक्कर० एगे घूम० एगे अहेसत्तमाए होज्जा ९। ___ अहवा एगे रयण० एगे सक्करप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा १० अहवा एगे रयण० एगे वालुय० एगे पंक० एगे घूमप्पभाए होज्जा ११ अहवा एगे रयण० एगे वालुय० एगे पंक० एगे तमाए होज्जा १२ अहवा एगे रयण० एगे वालुय० एगे पंक० एगे अहेसत्तमाए होज्जा १३ अहवा एगे रयण० एगे वालुय० एगे घूम० एगे तमाए होज्जा १४ अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुय० एगे घूम० एगे अहेसत्तमाए होज्जा १५ अहवा एगे रयण० एगे वालुय० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा १६ अहवा एगे रयण० एगे पंक० एगे घूम० एगे तमाए होजा १७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003309
Book TitleAgam Suttani Satikam Part 05 Bhagvati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages564
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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