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________________ ३७२ भगवतीअङ्गसूत्रं ८/-/२/३९३ आभिनिबोहियनाणी सुय० ओहि० मणपज्जवनाणी। तस्स अलद्धीया णं भंते ! जीवा किं नाणी०, गोयमा ! नाणीवि अन्नाणीवि । एवं ओहिनाणवज्जाइं चत्तारि नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए । मणपञ्जवनाणलद्धिया णं पुच्छा, गोयमा! नाणी नो अन्नाणी। अत्थेगतिया तिन्नाणी अत्यंगतिया चउनाणी, जे तिन्नाणीतेआभिनिबोहियनाणीसुयनाणी मणपज्जवणाणी, जे चउनाणी ते आइनिबोहियनाणी सुयनाणी ओहिनाणी मणपञ्जवनाणी, तस्स अलद्धीयाणं पुच्छा, गोयमा! नाणीवि अन्नाणीवि, मणपञ्जवनाणवजाइंचत्तारिणनमाई, तिन्नि अन्नाणाइं भयणाए। केवलनाणलद्धियाणं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी?, गोयमा! नाणी नो अन्नाणी, नियमा एगनाणी केवलनाणी, तस्स अलद्धियाणं पुच्छा, गोयमा ! नाणीवि अन्नानिवि, केवलनाणवजाइं चत्तारि नाणाई तिन्नि अन्नाणाई भयणाए। अन्नाणलद्धिया णं पुच्छा, गोयमा! नो नाणी अन्नाणी, तिन्नि अन्नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं पुच्छा, गोयमा! नाणी नो अन्नाणी, पंच नाणाइंभयणाएजहा अन्नाणस्स लद्धिया अलद्धिया य भनिया एवं मइअन्नाणस्स सुयअन्नाणस्स य लद्धिया अलद्धिया य भानियव्वा । विभंगनाणलद्धियाणां तिन्नि अन्नाणाइं नियमा, तस्स अलद्धियाणां पंच नाणाइं भयणाए दो अन्नाणाइं नियमा॥ ... सणलद्धियाणं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी?, गोयमा! नाणीवि अन्नाणीवि, पंच नाणाइं तिन्नि अन्नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी?, गोयमा तस्स अलद्धिया नथि। सम्मइंसणलद्धियाणं पंच नाणाइंभयणाए, तस्सअलद्धियाणं तिनि अन्नाणाइंभयणाए, मिच्छादसणलद्धिया णं भंते ! पुच्छा, तिन्नि अन्नणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई तिन्नि य अन्नाणाई भयणाए, सम्मामिच्छादसणलद्धिया य अलद्धिया जहा मिच्छादसणलद्धी अलद्धी तहेव भानियव्वं ॥ चरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अनाणी?, गोयमा ! पंचन नाणाइं भयणाए, तस्स अलद्धियाणं मणपज्जवनाणवजाइं चत्तार नाणाइं तिन्नि य अन्नाणाइं भयणाए, सामाइयचरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा ! नाणी केवलवजाइं चत्तारि नाणाइंभयणाए, तस्सअलद्धियाणं पंच नाणाइंतिनिय अन्नाणाइंभयणाए, एवंजहा सामाइयचरित्तलद्धिया य भनिया एवं जहा जाव अहक्खायचरित्तलद्धिया अलद्धिया य भानियव्वा, नवरं अहक्खायचरित्तलद्धिया पंच नाणाइंभ०, चरित्ताचरित्तलद्धियाणं भंते! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, गोयमा! नाणी नो अन्नाणी, अत्थेगइया दुन्नाणी अत्थेगतिया तिन्नाणी, जे दुन्नाणी तेआभिनिबोहियनाणी य सुयनाणी य, जे तिन्नाणी ते आभि० सुयना० ओहिना०, तस्स अल० पंच नाणाई तिन्नि अन्नाणाइंभयणाए ४।। दानलद्धियणं पंच नाणाइंतिन्नि अन्नाणाइंभयणाए, तस्सअ० पुच्छा, गोयमा! नाणी नो अन्नाणी, नियमा एगनाणी केवलनाणी । एवं जाव वीरियस्स लद्धी अलद्धी य भानियव्वा। बालवीरियलद्धियाणं तिन्नि नाणाइं तिन्नि अन्नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं पंच Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003309
Book TitleAgam Suttani Satikam Part 05 Bhagvati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages564
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size12 MB
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