SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 772
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अष्टमाध्यायस्य चतुर्थः पादः ७५५ विशेषः (१) यहां विद्वानों का यह विवेचन है कि खय् वर्णों को चर् और झश् वर्णों को जश् आदेश होता है (खयां चरो झशां जश:) - १. २. ३. ४. ५. ६. ७. ८. ९. १०. खय् ख फ छ to s थ च अन्य ल चर् च प च ट त च Jain Education International ट त च झश् झ भ who s 15 ho ho ho घ ढ ध ज ब ग ड द (१६) खरि च । ५४ । जश् 15 to 12 ft 15 to 15 12 ज For Private & Personal Use Only ब ग ड द प प द कवर्ग और हकार वर्ण को 'कुहोश्चुः' (७/४/६२) से प्रथम चवर्ग आदेश होकर इस सूत्र से यथाप्राप्त चर् अथवा जश् आदेश होता है । (२) यहां पर्जन्यवत् सूत्रप्रवृत्ति से - प्रकृति चर् को चर् ही आदेश होता है। जैसे- (च) चिचीषति । (ट) टिटीकषते । (त) तितनिषति । और प्रकृति जश् को जश् ही आदेश होता है। जैसे- (ज) जिजनिषते । (ब) बुबुधे । (द) ददौ । (ड) डिड्ये । 'डीङ् विहायसा गतौ' (भ्वा० आ०)। चरादेश: ज ब ड प०वि० - खरि ७ । १ च अव्ययपदम् । अनु० - संहितायाम्, झलाम्, चर् इति चानुवर्तते । अन्वयः-संहितायाम् झलां खरि च चर् । अर्थ:-संहितायां विषये झलां स्थाने खरि परतश्च चरादेशो भवति । उदा०- ( भिद्) भेत्ता, भेत्तुम्, भेत्तव्यम् । ( युध् ) स युयुत्सते । (रभ्) स आरिप्सते । (लभ् ) स आलिप्सते । आर्यभाषाः अर्थ - ( संहितायाम् ) सन्धि - विषय में (झलाम् ) झल् वर्णों के स्थान में (खरि) खर् वर्ण परे होने पर (च) भी (चर्) चर् आदेश होता है । www.jainelibrary.org
SR No.003301
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy