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सप्तमाध्यायस्य तृतीयः पादः
२१७ अन्वय:-केकयमित्रयुप्रलयानाम् अचामादेरचस्तद्धिते णिति किति च वृद्धि:, यादेश्चेयः।
अर्थ:-केकयमित्रयुप्रलयानामऽङ्गानाम् अचामादेरच: स्थाने, तद्धिते त्रिति णिति किति च प्रत्यये परतो वृद्धिर्भवति, अङ्गस्य अकारादेश्च भागस्य स्थाने इयादेशो भवति ।
उदा०-(केकय:) केकयस्यापत्यम्-कैकेयः । (मित्रयु:) मित्रयुभावेन श्लाघते-मैत्रिकया श्लाघते। (प्रलय:) प्रलयादागतम्-प्रालेयम् उदकम् ।
___ आर्यभाषा: अर्थ-(केकयमित्रयुप्रलयानाम्) केकय, मित्रयु, प्रलय इन (अङ्गानाम्) अगों के (अचाम्) अचों में से (आदे:) आदिम (अच:) अच् के स्थान में (तद्धिते) तद्धित-संज्ञक (ञ्णिति) जित्, णित् और (किति) कित् प्रत्यय परे होने पर (वृद्धि:) वृद्धि होती है और (अङ्गस्य) अङ्गसम्बन्धी (यादे:) यकारादि भाग के स्थान में (इय:) इय् आदेश होता है।
उदा०-(केकय) कैकेय: । केकय का पुत्र । (मित्रयु) मैत्रिकया श्लाघते। मित्रयु नामक ऋषिभाव से प्रशंसित होता है। (प्रलय) प्रालेयम् उदकम् । प्रलय-हिमालय से आया हुआ गङ्गाजल । प्रकर्षेण लीना: सन्ति पदार्था अत्रेति प्रलयो हिमालय: (श०को०)।
सिद्धि-(१) कैकेयः। कैकेय+अण। कैकय+अ। कैक इय्+अ। कैकेय्+अ। कैकेय+सु। कैकेयः।
यहां 'केकय' शब्द से जनपदशब्दात् क्षत्रियाद' (४।१।१६६) से अपत्य-अर्थ में 'अञ्' प्रत्यय है। इस सूत्र से केकय' के आदिम अच् (ए) को वद्धि () और यकारादि-भाग (य् अ) के स्थान में इय-आदेश होता है। 'यस्येति च' (६।४।१४८) से अन्त्य अकार का लोप और आद्गुणः' (६।११८७) से गुणरूप एकादेश (अ+इ=ए) होता है।
(२) मैत्रिकया। मित्र+वञ् । मित्रयु+अक। मैत्रयु+अक। मैत्र इय्+अक। मैत्रेयक।। मैत्रेयक+टाप। मैत्रेयक+आ। मैत्रेयिक+आ। मैत्रेयिका।। मैत्रेयिका+टा। मैत्रेयिकया।
यहां 'मित्रयु' शब्द से 'गोत्रचरणाच्छ्लाघात्याकारतदवेतेषु' (५।१।१३३) से वुञ्' प्रत्यय है। 'युवोरनाकौं' (७।१।१) से 'वु' के स्थान में 'अक' आदेश होता है। इस सूत्र से मित्रयु' के आदिम अच् को वृद्धि और इसके यकारादि भाग (यु) के स्थान में 'इय' आदेश होता है। तत्पश्चात् स्त्रीत्व-विवक्षा में 'अजाद्यतष्टाप्' (४।१।४) से टाप्' प्रत्यय और प्रत्ययस्थात्कात्०' (७।३।४४) से इत्त्व होता है। गोत्रचरणा०' (५।१।१३३) यहां लौकिक गोत्र का ग्रहण किया जाता है। अपत्यं पौत्रप्रभृति गोत्रम् (४।१।१६२) इस पारिभाषिक गोत्र का नहीं। लोक में ऋषिवाची शब्द गोत्र कहाता है। लोके च ऋषिशब्दो गोत्रमित्यभिधीयते' (काशिका)।
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