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________________ ७२२ पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् अर्थ:-दाण्डिनायनादय: शब्दा निपात्यन्ते । उदाहरणम् (१) (दाण्डिनायन:} दण्डिनो गोत्रापत्यम्-दाण्डिनायन: । दण्डी का पौत्र। (२) {हास्तिनायन:} हस्तिनो गोत्रापत्यम्-हास्तिनायन: । हस्ती का पौत्र। (३) {आथर्वणिक:} अथर्वणा प्रोक्तो ग्रन्थोऽपि उपचाराद् ‘अथर्वन्' इत्युच्यते। अथर्वाणमधीयते वेद वा य: स:-आथर्वणिकः । अथर्वा ऋषि द्वारा प्रोक्त ग्रन्थ का अध्येता 'काला। (४) {जिह्माशिनेय:} जिह्माशिनोऽपत्यम्-जिह्माशिनेयः । जिह्माशी का पुत्र। (५) वासिनायनि:} वासिनोऽपत्यम्-वासिनायन: । वासी का पुत्र । (६) {भ्रौणहत्यम्) भ्रौणघ्नो भाव इति भ्रौणहत्यम्। भ्रूणहा का भाव (होना)। (७) {धैवत्यम्} धीनोऽपत्यम्-धैवत्यम् । धीवा का भाव (होना)। (८) (सारवम्} सरय्वां भवम्-सारवम् उदकम्। सरयू नदी का जल। (९) एिक्ष्वाक:} इक्ष्वाकोरपत्यम्-ऐक्ष्वाकः । इक्ष्वाकु राजा का पुत्र। (१०) (मैत्रेय:} मित्रयोरपत्यम्-मैत्रेयः । मित्रयु का पुत्र । (११) (हिरण्मय:} हिरण्यस्य विकार:-हिरण्मय: । हिरण्य-सुवर्ण का विकार। आर्यभाषा: अर्थ-(दाण्डिनायनाहिरण्मयानि) दाण्डिनायन, हास्तिनायन, आथवणिक, जिलाशिनेय, वासिनायनि, भ्रौणहत्य, धैवत्य, सारव, ऐक्ष्वाक, मैत्रेय, हिरण्मय ये शब्द निपातित है। उदा०-उदाहरण और उनका भाषार्थ संस्कृत-भाग में देख लेवें। सिद्धि-(१) दाण्डिनायनः । दण्डिन्+फक्। दण्डिन्+फ। दण्डिन्+आयन। दाण्डिनायन+सु । दाण्डिनायनः । यहां दण्डिन्' शब्द से नडादिभ्यः फक्' (४।१।९९) से गोत्रापत्य अर्थ में फक्' प्रत्यय है। 'आयनेय०' (७।१।२) से फ्' के स्थान में आयन्' आदेश होता है। इस सूत्र
SR No.003300
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages754
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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