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________________ षष्ठाध्यायस्य तृतीयः पादः ४५७ समानाधिकरण तत्पुरुष समास में देव' शब्द उत्तरपद होने पर आकार आदेश होता है। ऐसे ही-महाब्राह्मणः। (२) महाबाहुः। यहां महत् और बाह शब्दों का 'अनेकमन्यपदार्थे (२।२।२४) से समानाधिकरण-बहुव्रीहि समास है। इस सूत्र से महत् शब्द के तकार को समानाधिकरण बहुव्रीहि समास में बाहु-शब्द उत्तरपद होने पर आकार आदेश होता है। ऐसे हीमहाबलः । (३) महाजातीय: । यहां महत् शब्द से प्रकारवचने जातीयर् (५।३ ।६९) से 'जातीयर्' प्रत्यय है। इस सूत्र से महत् शब्द के तकार' को जातीयर् प्रत्यय परे होने पर 'आकार' आदेश होता है। आकारादेशः (२) व्यष्टनः संख्यायामबहुव्रीह्यशीत्योः।४७। प०वि०-द्वि-अष्टन: ६१ संख्यायाम् ७१ अबहुव्रीहि-अशीत्यो: ७।२। स०-द्विश्च अष्टन् च एतयो: समाहार:-व्यष्टन्, तस्मात्-द्वयष्टन: (समाहारद्वन्द्वः)। बहुव्रीहिश्च अशीतिश्च तौ बहुव्रीह्यशीती, न बहुव्रीह्यशीती इति अबहुव्रीह्यशीती, तयो:-अबहुव्रीह्यशीत्योः (इतरेतरयोगद्वन्द्वगर्भितनञ्तत्पुरुषः)। अनु०-उत्तरपदे, आद् इति चानुवर्तते। अन्वय:-द्वयष्टन: संख्यायाम् उत्तरपदे आत्, अबहुव्रीह्यशीत्योः । अर्थ:-द्वि-अष्टनो: शब्दयो: संख्यावाचिनि शब्दे उत्तरपदे आकारादेशो भवति, बहुव्रीहिसमासेऽशीतिशब्दे चोत्तरपदे न भवति। उदा०-(द्वि:) द्वौ च दश च एतयो: समाहार:-द्वादश । द्वाविंशति । (अष्टन्) अष्ट च दश च एतयो: समाहार:-अष्टादश। अष्टाविंशतिः । अष्टात्रिंशत् । आर्यभाषा: अर्थ- (द्वयष्टन:) द्वि और अष्टन् शब्दों को (संख्यायाम्) संख्यावाची शब्द (उत्तरपदे) उत्तरपद होने पर (आत्) आकार आदेश होता है (अबहुव्रीह्यशीत्योः) बहुव्रीहि समास में तथा अशीति शब्द उत्तरपद होने पर तो नहीं होता है। उदा०-(द्वि) द्वादश । दो और दश-बारह। द्वाविंशति । दो और बीस-बाईस। (अष्टन्) अष्टादश । आठ और दश-अठारह । अष्टाविंशतिः । आठ और बीस-अठाईस। अष्टात्रिंशत् । आठ और तीस-अठतीस ।
SR No.003300
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages754
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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