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________________ पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् आर्यभाषाः अर्थ- ( तत्पुरुषे ) तत्पुरुष समास में (प्रावृट्शरत्कालदिवाम्) प्रावृट् शरत् काल और दिव् सम्बन्धी (सप्तम्याः ) सप्तमी विभक्ति का (जे) ज-शब्द ( उत्तरपदे) उत्तरपद होने पर (अलुक्) लुक् नहीं होता है। ४२४ उदा०- -(प्रावृट्) प्रावृषिज: । वर्षा ऋतु में उत्पन्न हुआ । ( शरत्) शरदिजः । शरद् ऋतु में उत्पन्न हुआ। (काल) कालेज: । समय पर उत्पन्न हुआ। (दिव्) दिविजः । द्यौ (लोक) में उत्पन्न हुआ। सिद्धि - प्रावृषिज: । यहां प्रावृट् और ज-शब्दों का 'उपपदमतिङ्' (२।२1१९) से उपपद तत्पुरुष समास है। ज-शब्द में 'सप्तम्यां जनेर्ड: ' ( ३/२/९७) से 'जनी प्रादुर्भावि (दि०आ०) धातु से भूतकाल में 'ड' प्रत्यय है । वा०- 'डित्यभस्यापि टेर्लोपः' (६ । ४ । १४३) से जन् के टि-भाग (अन्) का लोप होता है। इस सूत्र से प्रावृट् की सप्तमी विभक्ति का ज-पशब्द उत्तरपद होने पर लुक् नहीं होता है। ऐसे ही - शरदिजः आदि । सप्तमी - अलुग्विकल्पः (१६) विभाषा वर्षक्षरशरवरात् ॥१६॥ प०वि०-विभाषा १ ।१ वर्ष - क्षर-शर- वरात् ५ । १ । स० वर्षश्च क्षरश्च शरश्च वरश्च एतेषां समाहारः - वर्षक्षरशरवरम्, तस्मात्-वर्षक्षरशरवरात् ( समाहारद्वन्द्व : ) । अनु०-अलुक्, उत्तरपदे, सप्तम्याः, तत्पुरुषे, जे इति चानुवर्तते । अन्वयः - तत्पुरुषे वर्षक्षरशरवरात् सप्तम्या जे उत्तरपदे विभाषाऽलुक् । अर्थ :- तत्पुरुषे समासे वर्षक्षरशरवरात् परस्याः सप्तम्या ज-शब्दे उत्तरपदे विकल्पेनालुग् भवति । उदा०-(वर्ष) वर्षे जात इति वर्षेज:, वर्षजः । (क्षर: ) क्षरेज:, क्षरज: । (शर: ) शरेज:, शरज: । ( वर: ) वरेज:, वरजः । आर्यभाषाः अर्थ- (तत्पुरुषे ) तत्पुरुष समास में (वर्षक्षरशरवरात्) वर्ष, क्षर, शर और वर शब्दों से परे (सप्तम्याः) सप्तमी विभक्ति का (जे) ज-शब्द ( उत्तरपदे) उत्तरपद होने पर ( विभाषा) विकल्प से (अलुक्) लुक् नहीं होता है। उदा०- -(वर्ष) वर्षेज:, वर्षज: । एक वर्ष में उत्पन्न हुआ। (क्षर) क्षरेज:, क्षरज: । प्रवाह में उत्पन्न हुआ। (शर) शरेज:, शरज: । बाण में उत्पन्न हुआ । (वर) वरेज:, वरजः । वर (श्रेष्ठ) में उत्पन्न हुआ।
SR No.003300
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages754
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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