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________________ ३७२ पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् सिद्धि-(१) अपाश्या । यहां प्रथम पाश शब्द से 'पाशादिभ्यो यः' (४।२।४९) से समूह अर्थ में तद्धित य-प्रत्यय है। तत्पश्चात् 'पाश्य' शब्द से नन्' (२।२) से नञ्तत्पुरुष समास होता है। इस सूत्र से तत्पुरुष समास में गुण-प्रतिषेध अर्थ में विद्यमान नञ् से परे 'पाश्य' उत्तरपद को अन्तोदात्त स्वर होता है। य-प्रत्ययान्त शब्द स्त्रीलिङ्ग में होते हैं अत: स्त्रीत्व-विवक्षा में 'अजाद्यतष्टा (४।१।४) से टाप्' प्रत्यय होता है। ऐसे ही-अतृण्या। (२) अदन्तम् । यहां दन्त शब्द से शरीरावयवाच्च' (४।३।५५) से भव-अर्थ में यत्' प्रत्यय है। शेष कार्य पूर्ववत् है। ऐसे ही-अकर्ण्यम् । अन्तोदात्तम् (१५) अचकावशक्तौ।१५७। प०वि०-अच्कौ १।२ अशक्तौ ७।१। स०-अच् च कश्च तौ-अच्कौ (इतरेतरयोगद्वन्द्वः) । न शक्तिरिति अशक्ति:, तस्याम्-अशक्तौ (नञ्तत्पुरुषः)। अनु०-उदात्त:, उत्तरपदम्, तत्पुरुष, अन्त:, नत्र इति चानुवर्तते । अन्वय:-तत्पुरुषे नञोऽचकावुत्तरपदमन्त उदात्त:, अशक्तौ । अर्थ:-तत्पुरुष समासे नञः परम् अच्-प्रत्ययान्तं क-प्रत्ययान्तं चोत्तरपदम् अन्तोदात्तं भवति, अशक्तौ गम्यमानायाम्। उदा०- (अच्) पचतीति पच:, न पच इति अपच: । अजय: । (क) विक्षिपतीति विक्षिपः, न विक्षिप इति अविक्षिप: । अविलिख: । आर्यभाषा: अर्थ-(तत्पुरुषे) तत्पुरुष समास में (नञः) नञ्-शब्द से परे (अच्को) अच्-प्रत्ययान्त और क-प्रत्ययान्त (उत्तरपदम्) उत्तरपद (अन्त उदात्त:) अन्तोदात्त होता है (अशक्तौ) यदि वहां अशक्ति असामर्थ्य अर्थ की प्रतीति हो। उदा०-(अच्) अपच: । पकाने में अशक्त पुरुष । अजयः । जीतने में अशक्त पुरुष। (क) अविक्षिप: । विक्षेपण में अशक्त पुरुष । अविलिखः । विलेखन में अशक्त पुरुष । सिद्धि-(१) अपच: । यहां प्रथम डुपचष् पा' (भ्वा०उ०) धातु से नन्दिग्रहिपचादिभ्यो ल्युणिन्यचः' (३।१।१३४) से 'अच्' प्रत्यय है। तत्पश्चात् पचः' शब्द से 'न' (२।२।६) से नञ् तत्पुरुष समास है। इस सूत्र से तत्पुरुष समास में नञ्-शब्द से परे अच्-प्रत्ययान्त 'पच:' उत्तरपद को अन्तोदात्त स्वर होता है। ऐसे ही-अजयः । यहां तत्पुरुषे तुल्यार्थ०' (६।२।२) से पूर्वपद को प्रकृतिस्वर प्राप्त था। यह उसका अपवाद है।
SR No.003300
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages754
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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